अपने हक के पैसों के लिए करीब ढाई दशक से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हुकमचंद मिल के मजदूरों की परेशानियां कम नहीं हो रही है। सरकार द्वारा कोर्ट के आदेश पर मजदूरों के १९६ करोड़ रुपए में से ५० करोड़ रूपए परिसमापक को वितरण के लिए लिए दिए हैं, लेकिन उनका पूरा वितरण नहीं हो पा रहा है। ५८९५ मजदूरों में से करीब १८०० मजदूरों की जान जा कुली है और उनकी विधवाएं पैसों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है। करीब १७० विधवाओं के आवेदन चैक होने के बाद उन्हें दिवाली के पहले पैसे मिलना थे, लेकिन परिसमापक और बैंकों की लेट लतीफी के चलते उनके सहित १४ मजदूरों को फिलहाल पैसा मिलना मुश्किल लग रहा है। बुधवार को यदि उन्हें पैसा नहीं मिला तो उनकी दिवाली बिगडऩा तय है। मंगलवार को १७० विधवाओं और १४ बुजुर्ग मजदूरों को उनके पैस दिलाने के लिए मजूदर संघ के पदाधिकारी दिन भर मशक्कत करते रहे हैं लेकिन पैसा बैंक खातों में नहीं आ सका। संघ से जुड़े हरनामसिंह धालीवाल के मुताबिक कोर्ट के आदेश के बाद परिसमापक के आवेदनों की जांच के बाद १२ अक्टूबर को १७० विधवाओं और १४ मजदूरों को पैसे देने के आदेश दिए थे। परिसमापक की ओर से पंजाब नेशनल बैंक में इनके करीब डेढ़ करोड़रुपए डाल दिए गए थे,लेकिन बैंक की लेटलतीफी के चलते पैसा मिल एरिया स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में शिफ्ट नहीं हो सका,यहां पर सभी मजदूरो के खाते हैं। सभी को औसत ७० हजार से एक लाख रुपए तक मिलना है। धालीवाल ने कहा यदि बुधवार को पैसा नहीं मिला तो दिवाली बाद पर बात जाएगी। उन्होंने बताया कुल ५८९५ मजदूरों को पैसा मिलना है।इमें से करीब ४०७० मजदूरों को ५० में से ३६ करोड़ रुपए बांटे जा चुके है। कुल १९६ करोड़ रुपए मजदूरों में वितरित होना है। इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर २३ अक्टूबर को सुनवाई है जबकि हाई कोर्ट में २६ अक्टूबर को।