कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए दिल्ली से पर्यवेक्षक बनाकर शाह को इंदौर भेजा गया है, ताकि लोकल नेताओं से विधानसभावार नाम लेकर ब्लॉक, बूथ, मंडलम् और सेक्टर कमेटी की गठन कर सकें। इस काम को करने के बजाय शाह बड़ी होटलों में टिकट के दावेदारों से चर्चा कर शाही भोज का लुफ्त ले रहे हैं। चुनाव में टिकट की इच्छा रखने वाले कांग्रेस नेता उनके आगे-पीछे घूम रहे हैं, ताकि अपना बायोडाटा ऊपर तक पहुंचा सकें, लेकिन खुद शाह की क्या स्थिति है, इसका खुलासा इंदौर दौरे पर आए सांसद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने यह कह कर कर दिया कि शाह के हाथ में कुछ नहीं है। वहीं पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं में भी उनकी कोई पूछ-परख नहीं है। इसका खुलासा कल हुआ, जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के भोपाल आने पर शाह सहित इंदौरे से कई नेता अगवानी करने पहुंचे।
कांग्रेसियों के अनुसार राहुल गांधी को एयरपोर्ट पर छोडऩे के बाद राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह सर्किट हाउस पहुंचे। इस दौरान उनके साथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, सांसद कांतिलाल भूरिया और कांग्रेस के नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी सहित कई समर्थक व कांग्रेस नेता शामिल थे। भोपाल में बंगला खाली होने के बाद से सर्किट हाउस में रुक रहे दिग्विजय सिंह ने सभी नेताओं को यह कहकर रवाना कर दिया कि उन्हें जरूरी काम है। सभी से बाद में समय होने पर मिलेंगे। उनसे मिलने के लिए कतार में खड़े नेताओं में इंदौर से पूर्व पार्षद सुरजीत सिंह चड्ढा और कांग्रेस नेता भंवर शर्मा सहित पर्यवेक्षक शाह भी शामिल थे।
दिग्विजय सिंह से शाह को मिलाते हुए चड्ढा और शर्मा ने कहा कि ये इंदौर के पर्यवेक्षक हैं, लेकिन सिंह ने ठीक से बात नहीं की। शाह उनसे फिर से मिलने के लिए उनके कमरे के बाहर गेट पर करीब २ घंटे तक बैठे रहे। लंबे इंतजार के बाद जब सिंह बाहर आए, तो उन्होंने शाह की तरफ देखा तक नहीं और फिर चले गए। इंदौर से गए नेता ये देखकर दंग रह गए। सवाल उठाया कि जिनके आगे-पीछे सारे नेता टिकट मांगने के लिए घूम रहे हंै, उनकी कोई पूछ-परख नहीं है, जबकि शाह को राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भेजा है।
जमकर हुई तू-तू-मैं-मैं
पिछले दिनों चार नंबर विधानसभा के दावेदारों और कांग्रेस कार्यकर्ताओ की बैठक पिछले दिनों पर्यवेक्षक शाह ने बुलाई थी, जो द्वारकापुरी स्थित महालक्ष्मी परिसर में हुई थी। शाह ने जब कांग्रेस नेताओं से कहा कि टिकट की घोषणा के बाद नेता अपने-अपने क्षेत्र को छोड़कर चले जाते है। आपके बाहर काम करने जाने से नुकसान पार्टी को उठाना पड़ता है। अगर आप दूसरी विधानसभाओं में अपने आकाओ का काम करने जाओ तो अपने क्षेत्र में एक प्रतिनिधि नियुक्त करके जाएं। इसका विरोध कई कांग्रेसियों ने कर दिया। साथ ही इस बात को लेकर शाह और कांग्रेस नेताओं में जमकर तू-तू-मैं-मैं हुई।