क्रेडिट कार्ड के साथ दिया था दुर्घटना बीमा, मौत के बाद नहीं दी क्षतिपूर्ति, उपभोक्ता फोरम ने दिया 10 साल का ब्याज और हर्जाने सहित 5 लाख देने का आदेश
2009 में ट्रेन हादसे में हुई थी मौत, उपभोक्ता फोरम के फैसले से मिली राहत
क्रेडिट कार्ड के साथ दिया था दुर्घटना बीमा, मौत के बाद नहीं दी क्षतिपूर्ति, उपभोक्ता फोरम ने दिया 10 साल का ब्याज और हर्जाने सहित 5 लाख देने का आदेश
इंदौर. एक हादसे में पति को गंवा चुकी महिला को उपभोक्ता फोरम से बड़ी राहत मिली। पति का दुर्घटना बीमा होने के बावजूद के्रडिट कार्ड कंपनी उनकी रेल हादसे में मौत के बाद पीडि़त परिवार को क्षतिपूर्ति नहीं दे रही थी। क्रेडिट कार्ड बनाते समय कंपनी ने दुर्घटना में मौत होने पर पांच लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का दावा किया था। एग्रीमेंट में भी यह बिंदू शामिल था, लेकिन जब कार्ड धारक की दुर्घटना में मौत हो गई तो कंपनी ने निर्धारित क्षतिपूर्ति राशि देने से इनकार कर दिया। कई चक्कर लगाने के बाद भी जब पीडि़त परिवार को पैसा नहीं मिला तो उन्होंने उपभोक्ता फोरम में केस दायर किया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने क्लैम राशि के पांच लाख रुपए ब्याज सहित चुकाने के आदेश दिए हैं। कंपनी को आठ प्रतिशत वार्षिक की दर से 10 साल का ब्याज भी चुकाना होगा। इसके अलावा मानसिक कष्ट के चार हजार रुपए और परिवाद शुल्क के एक हजार रुपए भी देने होंगे।
एडवोकेट आनंद सौसरिया ने बताया, मालवा परिसर में रहने वाले जितेंद्र सूद की एक ट्रेन हादसे में 9 अगस्त 2009 को मौत हो गई थी। वे इंदौर से भरूच जा रहे थे। जितेंद्र ने आइसीआइसीआइ बैंक का क्रेडिट कार्ड ले रखा था, जो नवंबर 2009 तक वैध था। वे एपीजी कंपनी में सर्विस करते थे और कंपनी ने ही सभी का कार्ड बनवाया था। बैंक ने सभी कर्मचारियों का कार्ड बनाने के साथ इंश्योरेंस करने की बात कही थी, जिसके तहत मौत होने पर पांच लाख की क्षतिपूर्ति मिलना थी।
जितेंद्र की मौत के बाद पत्नी संगीता सूद ने कंपनी के समक्ष क्लैम पेश किया, लेकिन कंपनी ने राशि देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने 3 जून 2010 को उपभोक्ता फोरम में परिवाद पेश किया। फोरम के अध्यक्ष कुंदन सिंह चौहान और सदस्य सत्येंद्र जोशी ने गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर संगीता के पक्ष में फैसला सुनाया।
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