कोरोना वायरस संक्रमण फैलने से रोकने के लिए सरकार ने लॉक डाउन घोषित कर रखा है। पहली घोषणा तक तो मजदूर रुके रहे, लेकिन दूसरी बार पीरियड बढ़ाने के बाद देशभर से पलायन शुरू हो गया। हर कोई घर जाने के लिए पैदल ही निकल पड़ा। गुजरात व मध्यप्रदेश के कई हिस्सों से यूपी-बिहार के मजदूर घरों के लिए चल दिए। इंदौर से गुजरने वाले अधिकतर लोगों को पुलिस ने रोककर शेल्टर होम भेज दिया।
२४ अप्रैल को बायपास से गुजरने वाले २१२ लोगों को भी मांगलिया के शेल्टर होम में ठहराया गया। इनमें अधिकतर ईंट भट्ठे में काम करने वाले थे। बकायदा चाय, नाश्ता व भोजन की पुख्ता व्यवस्था की गई थी। किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो, इसका समय-समय पर ध्यान दिया जा रहा था, लेकिन मजदूरों ने घर जाने को लेकर एसडीएम रवीश श्रीवास्तव से गुहार लगाई। इस पर उन्होंने कलेक्टर मनीष सिंह को जानकारी दी।
बताया कि सभी लोग ललितपुर जिले के हैं, इसलिए पहुंचाना आसान है। इस पर सिंह ने ललितपुर प्रशासन से बात करने के लिए कहा। श्रीवास्तव ने वहां के एडीएम से बात की, जिस पर वे राजी हो गए कि आप बसों में भेज दें। यहां से घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उनकी। हरी झंडी मिलती ही पांच चार्टर्ड बसों की व्यवस्था की गई। दो दिन पहले उन्हें रवाना किया गया था, सभी अपने-अपने घर पहुंच गए हैं।
दो दिन में सैकड़ों फोन
गौरतलब है कि शेल्टर होम में ठहरे हुए लोगों ने अपने रिश्तेदारों को फोन पर घर वापसी की जानकारी दी। इस पर ललितपुर के कुछ उत्साही लोगों ने फेसबुक व सोशल मीडिया पर एसडीएम रवीश श्रीवास्तव का नाम और मोबाइल नंबर डाल दिया, जो जमकर वायरल हो गया। इसके चलते दो दिन से लगातार फोन आ रहे हैं। अब तक सैकड़ों फोन आ चुके हैं।
स्टूटेंड भी लगा रहे गुहार गौरतलब है कि प्रशासन मध्यप्रदेश से बाहर जाने वालों के लिए ई-पास जारी कर रहा है। इसको लेकर बकायदा वेब साइट खोली गई, जिस पर आवेदनों का निराकरण आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय कर रहे हैं। इसके बावजूद शहर के कई स्टूटेंड व नौकरीपेशा लोग श्रीवास्तव को फोन लगा रहे हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें भी बसों से घर छोड़ दिया जाए।