असलम को अपनी सल्तनत चलाने में मदद करने वाले बीओ-बीआइ पर अब तक नकेल नहीं कसी गई। असलम खान के लोकायुक्त के चंगुल में फंसने के बाद निगमायुक्त आशीष सिंह ने बिल्डिंग परमिशन की सर्जरी की, जिसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हंै। असलम के खास माने जाने वाले बीओ-बीआइ को एक बार फिर मैदान में रहकर मलाई खाने का काम सौंप दिया गया है। सर्जरी के नाम पर केवल मुख्य नगर निवेशक विष्णु खरे को भवन अनुज्ञा शाखा से हटाने का फैसला लिया है, तो उनके स्थान पर किसी को बैठाने का फैसला भी नहीं लिया जा सका।
आयुक्त सिंह द्वारा किए गए फेरबदल में शहर के सभी 19 जोनल कार्यालयों के बिल्डिंग अफसर के रूप में काम करने के लिए 5 इंजीनियरों को अधिकृत कर दिया गया है। इसमें सुधीर गुलवे, असीत खरे, पीएस कुशवाह, दौलत सिंह गुंडिया और अश्विन जनवदे शामिल हंै।
पूर्व आयुक्तमनीष सिंह द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान शहर के सबसे ज्यादा जोनल कार्यालयों में भवन अधिकारी पद की जिम्मेदारी कार्यपालन यंत्री ओपी गोयल को सौंपी गई। इन्हें 8 जोन की जिम्मेदारी बीओ के नाते दी गई। इनके कामों को लेकर पिछले दिनों टीएल बैठक और निगम परिषद की बैठक में सवाल उठे। इसके चलते आयुक्त सिंह ने इन्हें सभी जोनों से हटाकर बिल्डिंग परमिशन से बाहर कर दिया है।
असलम खान के दो प्रमुख बैंकों एसबीआई और एक्सिस बैंक में अब तक डेढ़ दर्जन खातों का पता चल चुका है, जिनकी जांच कल लोकायुक्त पुलिस ने की थी। इनमें से कई खातों में एक-दो लाख से लेकर नौ लाख तक की जमा और निकासी एक बार में हुई है, जबकि खाते सेविंग हैं। लोकायुक्त इन खातों की पूरी डिटेल निकलवा रही है कि कब कितने पैसे जमा हुए, कितने दूसरे खातों में ट्रांसफर हुए और कितने निकाले गए। इसके अलावा इसकी तीन फर्मों के बैंक खाते, भाइयों और मां के खातों की जानकारी भी निकाली जाएगी। जांच में यह सामने आ रहा है कि असलम खान के भाई भले ही रहते अलग हैं, लेकिन परिवार संयुक्त ही है। बैंक खातों में आपसी ट्रांजेक्शन खूब हुआ है। इसके अलावा उसके पैन कार्ड और इनकम टैक्स विभाग से फर्म की आइटी रिटर्न आदि की भी जानकारी निकलवाई जा रही है।