डाटा खरीदने वालों की लाइन लगी हुई है, यह लोग खरीदते है डाटा।
– क्रेडिट व डेबिट कार्ड के जरिए फ्राड करने वालों को
– कॉल सेंटर चलाने वालों को
– शेयर ट्रेडिंग व एडवाइजरी कंपनियों को
– कोचिंग क्लॉस संचालक व निजी कॉलेज प्रबंधन को
– ऑटोमोबाइल्स शोरूम संचालित करने वालों को
– निजी इंश्योरेंस कंपनियों को
– निजी हास्पिटल्स को
डाटा खरीदने वाले जिस तरह से सक्रिय है उस तरह से बेचने वाले भी बहुत संख्या में हो गए है। साइबर सेल के अफसर बताते है कि डार्ट नेट पर कई ग्रुप बने हुए है। यहां डाटा वाला, डाटा संग्रह, डाटा खरीदोगे, डाटा ब्रोकर, इनफार्मेशन ब्रोकर, डाटा वेंडर नाम से ग्रुप बने है। डार्क नेट पर जैसे लोगों के क्रेडिट कार्ड नंबर की बिक्री होती है वहीं बल्क में डाटा भी बेचा जाता है। हमारे देश में डाटा बेचने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है इसलिए बिक्री खुलेआम हो रही है।
अफसर बताते है कि इस समय हर कोई जानकारी बेचने का काम कर रहा है। किसी ऑनलाइन वेबसाइट पर नौकरी के लिए बायोडाटा दिया, शादी के संबंधित वेबसाइट पर जानाकारी दी तो अगले पल आपकी पूरी जानकारी सार्वजनिक हो जाएगी। किसी माल में घूमते हुए फॉर्म भरना, हालिडे कंपनी का फॉर्म भरना यहां तक कि किसी इनाम की संभावना के चलते अपनी जानकारी भी दी तो वह बाजार में बिक जाएगी। किसी परीक्षा के लिए फॉर्म भरा तो वह डाटा कोचिंग क्लास व निजी कॉलेज संचालक खरीद लेते है। अफसरों के मुताबिक, शुरुआत में तो आपकी जानकारी (डाटा) 12 से 14 पैसे में बिकता है जितना आगे बढ़ता है उतनी कीमत बढ़ जाती है। हाल ही में अमरीकियों को ठगने के मामले में पकड़ाए कॉल सेंटर को एक व्यक्ति की जानकारी 14 रुपए में मिल जाती थी।
डाटा बेचने वालों के पास हर वर्ग, अलग-अलग श्रेणी के लोगों का अलग अलग डाटा उपलब्ध है। 10 से 12 हजार में एक लाख लोगों का डाटा आसानी से मिल जाता है।
– बड़ी कमाई वाले लोगों का डाटा
– सैलरीड कर्मचारी का डाटा
– क्रेडिट-डेबिट कार्ड आनर का डाटा
– लक्झरी व सामान्य कार मालिक का डाटा
– रिटायर्ड अफसर का डाटा
– रियाटर्ड महिला का डाटा
4-5 हजार में बेच रहे मोबाइल डाटा
साइबर सेल ने पिछले दिनों मोबाइल कंपनियों में काम करने वाले कुछ कर्मचारियों को पिछले दिनों गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि आय बढ़ाने के लिए एडवाइजरी कंपनियों ने इन कर्मचारियों की मदद ले रखी थी। करीब 4-5 हजार रुपए में किसी व्यक्ति की महीनों की कॉल डिटेल बाजार में बेच रहे थे।
पुलिस, अन्य जांच एजेंसियों ने डाटा बाजार में बेचने जाने को लेकर अपनी आपत्तियां जताते हुए गृह मंत्रालय को लगातार रिपोर्ट भेजी। यूरोप में सबसे पहले इस पर कदम उठाते हुए जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगूलेशन पॉलिसी लाई गई थी। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी डाटा बेचने के खतरे को भांपते हुए पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया है जिसे सांसद में रखकर लागू करने की तैयारी है ताकि बाजार में बिक रहे डाटा पर रोक लगाई जा सके।