शहर भी होलकर राजाओं की सोच के साथ ही विकसित हुआ। मां अहिल्या के राजकीय पलों और उनके आदर्शों को जीवंत करने के लिए एक स्मारक बनाने की कल्पना संजोई गई है। इसमें माता अहिल्या के पारमार्थिक कार्यों के साथ ही प्रशासन का इतिहास भी रहेगा। इसके लिए पीपल्याहाना क्षेत्र में ५ एकड़ सरकारी जमीन चिन्हित की गई है। यहां पर स्मारक के अलावा देवी अहिल्या से जुड़े अन्य प्रसंग भी रहेंगे। इस स्मारक की डिजाइन तैयार करवाई जा रही है। जिससे पूरे प्रोजेक्ट को संस्कृति विभाग के पास भेजा जा सकें। बताया जा रहा है, इसमें केंद्र, राज्य व आईडीए गैर योजना मद से राशि खर्च करेगा। इसका निर्माण एक यादगार स्मारक की तरह बनाया जाएगा। आईडीए अध्यक्ष शंकर लालवानी ने बताया, इसकी रचना उसी तरह होगी जिस तरह से चित्रकुट में राम के जीवन का चित्रण करते हुए म्यूजियम बनाया है। उसी तरह यहां भी माता अहिल्या की झांकी को जीवंत किया जाएगा।
देवी अहिल्या कला वीथिका
देवी अहिल्या कला विथिका में माता अहिल्या के जीवन के एेतिहासिक जीवन का चित्रण कलात्मक रूप से किया जाएगा। इसमें उनके जीवन की शुरूआत से राजकाज के तरीकों की झांकियों को मूर्तिकला और चित्रकला के माध्यम से दिखाएंगे।
देवी अहिल्या कला विथिका में माता अहिल्या के जीवन के एेतिहासिक जीवन का चित्रण कलात्मक रूप से किया जाएगा। इसमें उनके जीवन की शुरूआत से राजकाज के तरीकों की झांकियों को मूर्तिकला और चित्रकला के माध्यम से दिखाएंगे।
महेश्वर घाट : माता अहिल्या ने अपने शासन काल में महेश्वर को राजधानी बनाया था। वे माता नर्मदा और शिव की अनन्य भक्त थी। उनकी इस भक्ति को जीवंत करेगा महेश्वर की नर्मदा का स्वरूप और अहिल्या घाट की प्रतिकृति। यह नर्मदा घाट का एहसास देगा।
ऑडिटोरियम : एेतिहासिक विरासतों और सांस्कृतिक गतिविधियों के संचालन के लिए एक ऑडिटोरियम होगा। इसकी क्षमता करीब ५०० लोगों की होगी। शोध संस्थान : होलकर राजाओं के साथ ही पूरे मालवा निमाड़ का विस्तृत इतिहास है। इन सभी पर अध्ययन और परिचर्चाओं के लिए एक केंद्र बनाने की भी योजना है।
शिवमंदिर : माता अहिल्या राज्य को शिव कृपा मानती थी। उनकी इसी प्रेरणा को आकार देने के लिए शिव मंदिर का निर्माण भी होगा। इसमें माता अहिल्या की प्रतिकृति भी होगी।