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इंदौर

शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से बढ़ रहे डायबिटीज मरीज, ये हैं वजह

शहरों के बराबर गांवों में प्री-डायबिटीक मरीज: प्रदेश में शहरी आबादी के १२ फीसदी व ग्रामीण क्षेत्र में 3.6 फीसदी पीडि़त

इंदौरMay 13, 2019 / 04:27 pm

रीना शर्मा

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शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से बढ़ रहे डायबिटीज मरीज, ये हैं वजह

इंदौर. शहरी क्षेत्रों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है पर बदलती जीवनशैली से गांवों में भी 10 वर्षों में मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी। संपन्न लोगों की बीमारी माना जाने वाला मधुमेह गरीबों को भी तेजी से चपेट में ले रहा है।
यह बात इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च इंडिया डायबिटीज (आइसीएमआर) की रिसर्च में सामने आई है। प्रदेश में मरीजों की संख्या शहरों में ज्यादा है, पर प्री-डायबिटीज मरीज ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग बराबर संख्या में मिले हैं। आइसीएमआर व आइएनटीआईएबी ने देश में डायबिटीज पर सर्वे के तीसरे चरण में मप्र को शामिल किया। सर्वे के तथ्य सामने रखने के लिए रविवार को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम हुआ। इसमें अध्ययन प्रमुख अन्वेषक व मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. वी. मोहन व मप्र में अध्ययन प्रमुख अन्वेषक डॉ. सुनील एम. जैन ने जानकारी दी।
डॉ. मोहन ने बताया, देश के २९ राज्यों में डब्ल्यूएचओ के मापदंड के अनुरूप एक लाख 25 हजार मरीजों के सैंपल लिए गए। नमूनों के साथ मरीजों की हिस्ट्री व संपूर्ण जानकारी के आधार पर रिसर्च तैयार की गई। इसमें प्रमुख रूप से सामने आया, देश की जीडीपी के साथ मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में संपन्न लोग ज्यादा और गरीब लोग कम मधुमेह पीडि़त मिले।
मप्र में ये बातें आईं सामने

शहरी क्षेत्र में आबादी का 12 फीसदी व ग्रामीण क्षेत्रों में 3.6 फीसदी मधुमेह से प्रभावित है। कुल आबादी में यह प्रतिशत 6 का है।

प्री-डायबिटीक मरीज शहरी क्षेत्र में आबादी के 21.5 फीसदी मिले, ग्रामीण क्षेत्रों में यह 18.2 फीसदी है। कुल आबादी में 19.2 फीसदी है।
पुरुष व महिलाएं दोनों मधुमेह से बराबर पीडि़त हैं। पहले 40.50 वर्ष की उम्र में मरीज मिलते थे, अब 25 से 30 वर्ष के मरीज मिल रहे हैं।

शहरी आबादी में 49.9 और ग्रामीण क्षेत्रों में 30.9 फीसदी मरीजों को ही पता है, उन्हें मधुमेह है।
जिन लोगों को पता था कि उन्हें डायबिटीज है, उनमें से शहरों में 37 फीसदी व ग्रामीण क्षेत्रों में 27 फीसदी का ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में मिला।

मोटापे के मामले में शहरी क्षेत्र में 31.3 फीसदी व ग्रामीण क्षेत्र में 12.8 फासदी आबादी प्रभावित मिली। पेट के मोटापे के
मामले में शहरों में 42.5 व ग्रामीण क्षेत्रों में 20.8 फीसदी लोग प्रभावित मिले।

ऐसे हुआ सर्वे

डॉ. सुनील एम. जैन व डॉ. गौरव गुप्ता के साथ 40 लोगों की टीम ने अगस्त 2017 से फरवरी 2018 के बीच 50-50 शहरी- ग्रामीण क्षेत्रों का रेंडमली चयन किया। गांवों में 2800 व शहर में 1200 लोगों की जांच की। जांचों के साथ हर मरीज से 3 घंटे बात कर जानकारी जुटाई। रिपोर्ट आईसीएमआर को भेजी, जिसे देशभर के आंकड़ों के साथ जारी किया गया।

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