पत्र में आरोप लगाए कि जिला प्रशासन के कुछ अधिकारी, नेताओं और बिल्डरों से मिलकर जमीन बेचने की योजना बना रहे हैं। रेसीडेंसी एरिया व कॉलेज की जमीन में लगे हजारों पेड़ शहर को शुद्ध हवा दे रहे हैं, लेकिन भूमाफियाओं की बेशकीमती जमीन पर नजर है। इस जगह को व्यवसाय और वाणिज्य क्षेत्र के रूप में विकसित करने का प्रयास है।
महात्मा गांधी ने जैविक खाद का सराहा था प्रदेश के किसान नेता केदार सिरोही (Kedar Sirohi) ने बताया कि महाविद्यालय के अनुसंधान केंद्र की भूमि पर जैविक खेती का कार्य सन 1905 से शुरू हुआ है। 23 अप्रैल 1935 को महात्मा गांधी ने कॉलेज परिसर स्थिति कम्पोस्ट खाद केंद्र पहुंचकर जैविक खाद के कामों की सराहना की थी। यहां शासन कोई भी योजना लाती है तो कृषि अनुसंधान, बीज उत्पादन, कृषि शिक्षा आदि प्रभावित होगें। राष्ट्रीय किसान नेता योगेंद्र यादव ने बताया कि मालवा की खेती पूरी दुनिया में सराही जाती है। कृषि कॉलेज किसानों की आशाओं का केंद्र है। इस धरोहर से किसानों को खेती को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में मार्गदर्शन मिलता है।
प्रशासन ने बनाई है योजना
मालूम हो कि इंदौर के कृषि कॉलेज की जमीन को बेचने के लिए जिला प्रशासन ने तैयारी कर ली थी। इसकी जानकारी लगते ही पत्रिका ने इसे मुद्दा बनाकर लगातार खबरें प्रकाशित कीं। इसके बाद कॉलेज के छात्र-छात्राओं समेत शहर के प्रबुद्धजनों ने इसका विरोध किया। लोगों ने इसके खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन भी किया।