scriptपश्चिम क्षेत्र में नहीं हैं स्वास्थ्य सुविधाएं, स्वास्थ्य मंत्री को भी परवाह नहीं | Do not care about healthcare, health minister, not in the western | Patrika News
इंदौर

पश्चिम क्षेत्र में नहीं हैं स्वास्थ्य सुविधाएं, स्वास्थ्य मंत्री को भी परवाह नहीं

– १० माह पहले ३०० बिस्तरों के जिला अस्पताल का हुआ था भूमिपूजन, ईंट भी नहीं हिली
– स्वास्थ्य विभागों के अस्पतालों में न डॉक्टर रहते हैं न संसाधन, सिर्फ एमवाय अस्पताल के भरोसे मरीज

इंदौरJul 11, 2019 / 10:41 am

Lakhan Sharma

health

पश्चिम क्षेत्र में नहीं हैं स्वास्थ्य सुविधाएं, स्वास्थ्य मंत्री को भी परवाह नहीं

इंदौर। लाल अस्पताल में कल हुई घटना के बाद से ही स्वास्थ्य विभाग की सुविधाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह कोई पहली घटना नहीं है। आए दिन इस तरह की घटनाएं सामने आ रही है। जिसका बड़ा कारण पश्चिम क्षेत्र में कोई भी स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना है। सैकड़ों कॉलोनियों के लाखों लोगों को सिर्फ पूर्वी क्षेत्रों के अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है। दरअसल एक प्रसूती के दौरान कल नवजात को ऑक्सीजन नहीं मिलने और समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने से उसकी मौत हो गई थी। अस्पताल में प्रसूती के समय डॉक्टर भी नहीं थे।

खास बात है कि स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट इंदौर के हैं, बावजूद इसके उनका इस ओैर ध्यान नहीं है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सितंबर २०१८ में ३०० बिस्तरों का जिला अस्पताल पश्चिम क्षेत्र में बनना था, जिसका भूमि पूजन भी केंद्रीय मंत्री ने किया था, लेकिन इस अस्पताल को बनाने के लिए जिस पुराने अस्पताल की इमारत को तोडऩा है और आज तक इसकी ईंट तक नहीं हिली है। ऐसे में मंत्री और स्थानीय जनप्रतिनिधि कितने सजग हैं इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। दरअसल पश्चिम क्षेत्र में एक मात्र सरकारी अस्पताल जिला अस्पताल ही था, लेकिन १० माह पहले जब नई ईमारत का भूमिपूजन हुआ तब यहां से सभी सुविधाओं को अन्य अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। जिसके बाद पश्चिम क्षेत्र के लाखों मरीज इलाज के लिए पूर्वी क्षेत्र के अस्पतालों पर निर्भर हो गए हैं। खास बात है कि मेडिकल कॉलेज का एमवाय अस्पताल, एमटीएच अस्पताल, स्वास्थ्य विभाग का पीसी सेठी अस्पताल सभी पूर्वी क्षेत्र में हैं। पश्चिम क्षेत्र में सिर्फ जिला अस्पताल था। बाणगंगा में ३० बिस्तरों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया, लेकिन वहां भी सुविधाएं नहीं हैं। यहां पूर्व में चल रही डिस्पेंसरी को शिफ्ट कर दिया गया है, यहां भी प्रसूताओं को इलाज नहीं मिल रहा है। दरअसल पश्चिम क्षेत्र में ३०० बिस्तरों के जिला अस्पताल की जरूरत है, जिसमें सभी सुविधाएं हों। यहां ३०० बिस्तरों का अस्पताल बनता है तो उसमें सभी विभाग होंगे और बड़े ऑपरेशन हो सकेंगे। वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में सीजर के अलावा कोई ऑपरेशन नहीं होते।

– पहले टूटेगी इमारत, फिर बनेगी नई


दरअसल शासन ने जिला अस्पताल को ३०० बिस्तरों का अस्पताल बनाने के लिए मंजूरी दी है। इसके लिए करीब ५० करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। जिला अस्पताल को ३०० बिस्तरों का बनाने के लिए लंबे समय से कवायदें चल रही थीं। कई बार इसका प्रोजेक्ट बना फिर कैंसल हुआ। इसे १०० बिस्तरों की इमारत बनाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन जरूरत के हिसाब से हमेशा ३०० बिस्तरों की मांग उठी। यह असप्ताल पहले से संचालित दूध डेरी में सालों से चल रहा था जहां आईसीयू तक नहीं था। अब नए अस्पताल की इमारत बनने के लिए पुरानी इमारत को तोडऩा होगा। इसके लिए दो बार टेंडर हो चुके हैं और लेटलतीफी के चलते अब तक इमारत तोडऩे का काम ही शुरू नहीं हो पाया। जबकि ८ माह पहले अस्पताल की इमारत को खाली कर दिया गया है।

– नर्स पर होगी कार्रवाई

कल हुए घटनाक्रम के मामले में सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जडिय़ा का कहना है कि हम नर्स पर कार्रवाई करेंगे। साथ ही यह भी पता लगा रहे हैं कि नर्स ने ऑन कॉल ड्यूटी पर रहने वाले डॉक्टरों को बुलाया कि नहीं, क्योंकि जब डॉक्टर अस्पताल में न हो तो भी ऑन कॉल रहते हैं, जिन्हें जरूरत पडऩे पर बुलाया जाता है। हम रोस्टर के हिसाब से उनकी ड्यूटी लगाते हैं। वहीं जिला अस्पताल के मामले में सिविल सर्जन डॉ. एमपी शर्मा का कहना है कि हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि काम शुरू हो। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से बात कर जल्द इमारत का काम शुरू करवाएंगे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो