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इंदौर

इ-वेस्ट के हानिकारक केमिकल वातावरण को ऐसे पहुंचा रहे नुकसान, आप भी जानिए

शहर में हर साल निकलता है 12 हजार टन इ-वेस्ट

इंदौरMay 18, 2018 / 10:27 am

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e waste

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इंदौर. प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इ-वेस्ट का निराकरण नहीं करने वाले उत्पादक, निर्माता व बड़े संस्थान (बल्क यूजर) पर शिकंजा कसते हुए सार्वजनिक नोटिस जारी किए हैं। सभी से फॉर्म-3 में 30 जून तक ई-वेस्ट निष्पादन प्रक्रिया की जानकारी मांगी गई है। अनियमितता पाए जाने पर 1 लाख रुपए जुर्माना व 5 साल की सजा भुगतना होगी।
स्वच्छता में दोबारा नंबर वन बने इंदौर व प्रदेश में सालाना निकलने वाले इ-वेस्ट का 5 प्रतिशत हिस्सा भी निराकरण के लिए अनुमति प्राप्त रिसाइक्लर के पास नहीं जा रहा है। अधिकांश कचरा कबाडि़यों को बेच दिया जाता है। इससे इनमें अनेक कीमती धातुएं मिट्टी में मिल जाती हैं।
इनसे निकलने वाले हानिकारक केमिकल्स वातावरण को जहरीला भी कर रहे हैं। इनमें सोना-चांदी, कैडमियम, तांबा, पीतल जैसी धातुएं और बैट्रियों में उपयोग होने वाले केमिकल व प्लास्टिक वेस्ट में हानिकारक तत्व होते हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने चेतावनी दी है कि बल्क यूजर संस्थान 30 जून तक अपने यहां निकलने वाले इ-वेस्ट के निष्पादन की प्रक्रिया की जानकारी दें। निर्माता, मैन्यूफेक्चरर इ-वेस्ट निराकरण नियम-२०१६ के अनुसार इ-वेस्ट निराकरण की जानकारी और रिसाइक्लर के साथ अनुबंध की प्रति भी दें।
पर्यावरण बोर्ड के सदस्य एके मिश्रा का कहना है, बार-बार चेतावनी के बाद भी उपयोगकर्ता लापरवाही कर रहे हैं। इसलिए इन्हें एक बार फिर व्यवस्था में शामिल होने का मौका दिया है। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।
यह हैं बल्क यूजर
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी सूचना में बल्क यूजर उन कंपनियों को बताया गया है, जिनका सालाना टर्नओवर एक करोड़ रुपए है और जो कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रिक उपकरणों का इस्तेमाल कर रही हैं। बाहर से आयात कर भारत में माल बेचने वालों को उत्पादक कहा गया है। इंदौर में इनकी संख्या ५ हजार से अधिक है। इनमें १२ हजार टन से अधिक कचरे की संभावना है। बल्क यूजर में उद्योग, हॉस्पिटल, होटल, मॉल, शैक्षणिक संस्थान भी शामिल हैं।
जागरुकता की कमी
इ-वेस्ट के रिसाइक्लर फजल हुसैन का कहना है, वर्तमान में इ-वेस्ट की रेंज में अनेक घरेलू व निजी उपकरण हो गए हैं। सरकार नियमों में बदलाव कर इसकी जिम्मेदारी निर्माता की करने जा रही है। इ-वेस्ट के प्रति लोगों में जागरुकता नहीं है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। कबाडि़यों को प्लास्टिक वेस्ट की कीमत में इ-वेस्ट बेच रहे हैं।

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