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इंदौर

रेलवे ट्रैक पर तीन साल बाद लगेगी गिट्टी, अफसरों ने अभी से डलवा ली, होगा लाखों का नुकसान

रेलवे ट्रैक पर तीन साल बाद लगेगी गिट्टी, अफसरों ने अभी से डलवा ली, होगा लाखों का नुकसान

इंदौरApr 17, 2019 / 04:19 pm

हुसैन अली

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रेलवे ट्रैक पर तीन साल बाद लगेगी गिट्टी, अफसरों ने अभी से डलवा ली, होगा लाखों का नुकसान

इंदौर. इंदौर-देवास-उज्जैन रेलखण्ड पर डबलिंग प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। उज्जैन और इंदौर दोनों ओर से एक साथ का शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे रेलवे इंजीनियरों को प्रोजेक्ट को लेकर इतनी जल्दबाजी है कि जो काम तीन वर्ष बाद होने वाला है, उसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है। दरअसल इंदौर-देवास रेलखण्ड के बीच फिलहाल अर्थवर्क का काम शुरू ही हुआ है। करीब तीन वर्ष बाद ट्रैक पर गिट्टी डालकर पटरी बिछाने का काम शुरू किया जाएगा, लेकिन रेल इंजीनियरों ने सप्लायर के साथ मिलकर गिट्टी की डिलेवरी अभी से ले ली है। तीन वर्ष बाद जब इन गिट्टी का उपयोग होगा, तब गिट्टी की आयु 30 फीसदी तक घट जाएगी। इससे रेलवे को लाखों रुपए का नुकसान होगा।
रेलवे के विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रेलवे ट्रेक पर डलने वाली गिट्टी की आयु 10 वर्ष होती है। इसके बाद गिट्टी, मिट्टी में बदलने लगती है। इसलिए रेलवे द्वारा समय-समय पर ट्रेक पर डली गिट्टी को डीप स्क्रीनिंग कर बदला जाता है। लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन से देवास स्टेशन के बीच बरलई, मांगलिया, बिंजाना और अन्य जगह पर करीब 50 हजार क्यूबिक मीटर गिट्टी की सप्लाई ली जा चुकी है। इस प्रोजेक्ट में सप्लाई इंचार्ज रेलवे इंजीनियर आरएम तिवारी हंै। इंजीनियर तिवारी ने सप्लायर को फायदा पहुंचाने के लिए तीन वर्ष पहले ही गिट्टी मंगवा ली, जबकि यह काम अर्थवर्क पूरा होने के बाद होना चाहिए था।
यह होगा नुकसान

जानकारी के अनुसार रेलवे में उपयोग होने वाली गिट्टी की आयु 10 वर्ष होती है। प्रोजेक्ट अभी शुरूआती स्तर पर ही है। अर्थवर्क का काम पूरा होने में कम से कम 3 वर्ष का समय लगेगा। जब इस गिट्टी का उपयोग होगा, तब इसकी आयु 7 वर्ष ही रह जाएगी।
पिछले वर्ष शुरू हुआ था काम

उल्लेखनीय है कि 17 मार्च 2018 को रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इस लाइन का भूमिपूजन किया था। इसके बाद रतलाम मंडल ने टेंडर जारी किए थे। जुलाई 2018 माह में डीआरएम आरएन सुनकर ने इंदौर से देवास तक विंडो निरीक्षण किया। इस निरीक्षण में डीआरएम ने ट्रैक दोहरीकरण कहां कैसे होगा, यार्ड कहां बनेगा इन सब बातों को देखा था। इस निरीक्षण के बाद रेल अफसरों ने काम शुरू कर दिया था।

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