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इंदौर

घने जंगल में लगी भीषण आग

मार्च माह में पारा चढ़ते ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला शुरू हो जाता है। तो कई बार अतिक्रमण की नीयत से भी जानबूझकर आग लगाई जाती है। 15 मार्च से अब तक चोरल, मानपुर और महू रेंज में 200 से अधिक बार जंगलों में छोटी-बड़ी आग की घटनाएं हो चुकी है। जिससे करीब 250 से 300 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है। इधर रविवार दोपहर चोरल रेंज के जंगलों में लगी आग पर अफसरों ने रात 2 बजे काबू पाया। लेकिन तब तक कई हेक्टेयर जंगल आग से प्रभावित हो चुका था। इस दौरान कई सागवान और अन्य प्रजाति के पेड़ भी जल गए।

इंदौरApr 19, 2022 / 10:24 am

Sanjay Rajak

घने जंगल में लगी भीषण आग

घने जंगल में लगी भीषण आग

डॉ. आंबेडकर नगर(महू).

जानकारी के अनुसार रविवार को चोरल रेंज में तीन जगहों पर जंगलों में आग लगी। बाइग्राम, चोरल और गाजिंदा बीट के जंगल में आग लगी। देखते ही देखते आग का दायरा बढ़ते गया। सूचना मिलते ही वन अफसरों की टीम अलग-अलग जगहों पर आग बुझाने में लग गई। लेकिन शाम तक आग काफी क्षेत्र को नुकसान पहुंचा चुकी थी। इस दौरान वन विभाग की टीम ने ब्लोअर, पत्तों से आग बुझाना जारी रखा। चोरल रेंजर रविकांत जैन ने बताया कि रात 2 बजे आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया। सोमवार दिनभर फिल्ड में प्रभावित जंगल का आकलन किया गया है। बड़े पेड़ो को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। कितने हेक्टेयर में जंगल प्रभावित हुआ, अभी बता पाता मुश्किल है। रेंजर जैन ने बताया कि इस क्षेत्र में अपने आप आग लगना मुश्किल है। संभवत अतिक्रमण की नीयत से आग लगाई गई है, इसकी जांच की जा रही है।
बड़ा नुकसान हुआ

15 मार्च से अब तक आग लगने से 200-250 हेक्टेयर जंगल में नुकसान हुआ है। वन अफसर वन संपदा का नुकसान न के बराबर बता रहे है। जबकि जमीन स्तर पर जंगल का काफी हिस्सा जलकर खाक हो गया है, जिसमें कुछ ऐसे वनक्षेत्र भी है, जहां चार से पांच साल के भीतर पौधे लगाए गए है। महू, मानपुर और चोरल में सबसे ज्यादा चोरल रेंज में आग लगने की घटनाएं हुई है।
सैलेटलाइट से मिलता मैसेज

देशभर के जंगल में आगजनी की घटना को लेकर फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया (एफएसआइ) नजर रखता है। एफएसआइ की सैटेलाइट के जरिए प्रदेश का वन विभाग भी जुड़ा है। आग लगते ही विभाग के अमले को तुरंत मोबाइल पर घटना की जानकारी भेजी जाती है, जिसमें लोकेशन के बारे में भी बताया जाता है। इसके अलावा बीट गार्ड की जिम्मेदारी भी होती है, लेकिन अधिकांश मामलों में बीट गार्ड को आग का पता ही नहीं चलता है।
इसलिए लगती है आग

– राहगीरो द्वारा जलती बीड़ी-सिगरेट फेंक दी जाती है।
– अतिक्रमण करने के लिए ग्रामीण आग लगाते है।
– महुआ बीनने जाने वाले ग्रामीण सफाई के लिए आग लगाते है।
– गर्मी में तापमान बढऩे से सूखे पत्तों में आसानी आग लग जाती है।

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