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इंदौर

35 फीट की ऊंचाई तक ही बुझा सकते हैं आग, हाईराइज के लिए तो फिजिकल स्ट्रक्चर ही नहीं

हादसों को जिम्मेदार ही दे रहे न्योता न बचाव की व्यवस्था, न नियमों का ध्यान, 20 साल पहले थी आधुनिक मशीन, पर आज कोई साधन नहीं
 

इंदौरMay 27, 2019 / 01:22 pm

रीना शर्मा

INDORE

35 फीट की ऊंचाई तक ही बुझा सकते हैं आग, हाईराइज के लिए तो फिजिकल स्ट्रक्चर ही नहीं

कृष्णपाल सिंह इंदौर. सूरत हादसे में हुई २२ छात्रों की मौत की मुख्य वजह जिम्मेदारों की लापरवाही और फायर ब्रिगेड के पास संसाधनों का अभाव था। यही दृश्य इंदौर में हर कहीं है। तेजी से विकसित होते शहर में ऊंची-ऊंची इमारतें तो हर क्षेत्र में हैं लेकिन उनमें सुरक्षा और बचाव के जरूरी उपकरण ही नहीं हैं। आग से बचाव के यंत्रों की न तो समय पर टेस्टिंग होती न ही उनके उपयोग की ट्रेनिंग दी जाती है।
पत्रिका ने जब इंदौर के फायर स्टेशन में मौजूद संसाधनों की पड़ताल की तो खुलासा हुआ कि यहां फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां सिर्फ 35 फीट ऊंचाई तक पहुंच सकती है, जिससे वे 45 से 50 फीट ऊंचाई तक लगी आग को बुझाने में सक्षम हैं। हाईराइज बिल्डिंग पर आगजनी से निपटने के लिए विभाग के पास कोई व्यवस्था नहीं हैं। 25 साल पहले इंदौर के पास विशेष वाहन (ब्रोंटो एफ-32 एचडीटी मशीन) था, जो 32 मीटर (करीब 104 फीट) तक की ऊंचाई तक पहुंच सकता था। पर वह पिछले 20 सालों से इस्तेमाल में ही नहीं आया और आज कबाड़ हो चुका है। तेजी से विकसित होते इंदौर को उसके बाद से ऐसी कोई आधुनिक मशीन नहीं मिली जबकि इस दौरान शहर में कई हाइराइज बिल्डिंग बन गईं और कई प्रस्तावित हैं।
रिस्पॉन्स टाइम कम रखना चुनौती

प्रमुख स्थान राजबाड़ा, बड़वाली चौकी, अग्रसेन चौराहा, विजय नगर, रीगल तिराहा व सांवरे रोड पर फायर बाइक व दमकलकर्मी ड्यृटी पर रहते है। सभी बाइक का कंट्रोल रूम से सीधा संपर्क होता है। कर्मचारियों का मानना है की वे रिस्पॉन्स टाइम कम रखने का प्रयास करते हैं, लेकिन कई बार ट्रैफिक और अवैध कन्स्ट्रक्शन की वजह से ऑपरेशन में देरी हो जाती है।
जरूरी मशीन सालों से बंद

गांधी हॉल स्थित फायर स्टेशन पर ब्रोंटो एफ ३२ एचडीटी मशीन बंद पड़ी है। वर्ष 1993 में सेवा में शामिल हुई यह मशीन मेड इन फिनलैंड है। इससे एक ही वक्त में 7-8 लोगों को उतारा जा सकता है। मशीन मात्र 6671 किमी चली है और दो दशकों से बंद पड़ी है। इसकी निलामी की जा रही है।
-1984 में नियम था कि फायर ब्रिगेड के पास शहर में जितनी ऊंचाई तक आग बुझाने की व्यवस्था हो उतनी ही ऊंची बिल्डिंग की अनुमति दी जाए।
-हाईराइज बिल्डिंग का बीच का एक फ्लोर खाली रखना चाहिए ताकि आग लगने की स्थिति में लोग उसमें पहुंच सकें पर यह भी कहीं नहीं दिखता।
-बिल्डिंग निर्माण में एमओएस को भी नजरअंदाज किया जाता है, जिस वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी दिक्कतें आती हैं।
-कई जगह तो छज्जों के निर्माण में इतना अतिक्रमण कर दिया जाता है कि इमारत के आस-पास फायर ब्रिगेड की गाड़ी गुजर ही नहीं पाती।
-शहर की अधिकांश इमारतों में फायर सेफ्टी की मूलभूत व्यवस्था भी नहीं है और उनके निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया गया है।
5 फायर स्टेशन हैं
30 फायर वाहन मौजूद
143 फायर मैन व अधिकारी तैनात
19 वाटर टेंडर
10 फार्म टेंडर
01 रेस्क्यु व्हीकल

आबादी बहुत अधिक

28.5 लाख से अधिक है शहर की जनसंख्या
जांच शुरू: गाइड लाइन जारी

सूरत में कोचिंग क्लास की बिल्डिंग में लगी आग का डर इंदौर में भी दिखने लगा है। नगर निगम ने चार मंजिला और उससे ऊंची इमारतों में अग्निशमन के लिए पर्याप्त व्यवस्था है या नहीं इसकी जांच का आदेश जारी किया है।
निगमायुक्त आशीष सिंह ने निगम के भवन अधिकारियों और भवन निरीक्षकों को उनके क्षेत्र की सभी 12.5 मीटर (४१ फीट) और उससे ऊंची बिल्डिंगों में अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था की जांच का आदेश दिया है। गाइड लाइन भी जारी की गई है। इनकी जांच भवन निरीक्षकों को 15 दिन में करना होगी। कमी पाए जाने पर सात दिन में सुविधा जुटाने के लिए नोटिस जारी करने और सुविधा नहीं जुटाने पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कोताही बरतने वाले अफसरों पर एकपक्षीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने दिए थे निर्देश

सूरत की घटना के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस तरह की घटना मप्र में न हो इसके लिए शनिवार को निर्देश जारी किए थे। उन्होंने अफसरों को इसके लिए सभी व्यवस्था करने को कहा था।
खुद जांचे इन बिंदुओं पर परखें अपनी बिल्डिंग

-अग्निशमन वाहन हेतु पहुंच मार्ग होना जरूरी है, पता करें।
-भवन के चारों ओर एमओएस खुला है या नहीं। आग लगने पर बचाव कार्य के लिए समुचित स्थान और व्यवस्था आवश्यक है।
-प्रवेश द्वार की चौड़ाई 4.50 मीटर है या नहीं। 4.50 मीटर से कम का प्रवेश द्वार होने पर अग्निशमन वाहन के परिसर में प्रवेश की व्यवस्था करवाएं।
-12.50 मीटर से अधिक ऊंचे भवनों में फायर फाइटिंग संबंधी उपकरण उपलब्ध एवं चालू हों। पानी का टैंक भरने की व्यवस्था।
-बिल्डिंग में लगा पंप चालू हो।
-लिफ्ट चालू होकर अच्छी तरह काम कर रही है या नहीं।
-आपातकालीन निर्गम सीढिय़ां की सुविधा या व्यवस्था है या नहीं।
-बिल्डिंग में बिजली की फिटिंग ठीक है, तार खुले तो नहीं हैं।
-विद्युत लाइनों की दूरी आड़े में 1.20 मीटर व खड़े में 2.50 मीटर से कम तो नहीं है।
-इमरजेंसी गेट, सीढिय़ां, हॉल के बाहर पेसेज की व्यवस्था, फायर एक्जिट व्यवस्था, वेंटिलेशन है।
-आग बुझाने के उपकरण, फोम, बालू रेत की बाल्टी, पानी की व्यवस्था है या नहीं।
-हर मंजिल पर स्प्रिंकलर, ऊपरी टंकी से डाउन कवर पाइप, ऑटोमैटिक फायर अलार्म, बाहर निकलने हेतु इमरजेंसी लाइट, इंडिकेटर संकेत है अथवा नहीं।
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