-हाईराइज बिल्डिंग का बीच का एक फ्लोर खाली रखना चाहिए ताकि आग लगने की स्थिति में लोग उसमें पहुंच सकें पर यह भी कहीं नहीं दिखता।
-बिल्डिंग निर्माण में एमओएस को भी नजरअंदाज किया जाता है, जिस वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी दिक्कतें आती हैं।
-कई जगह तो छज्जों के निर्माण में इतना अतिक्रमण कर दिया जाता है कि इमारत के आस-पास फायर ब्रिगेड की गाड़ी गुजर ही नहीं पाती।
-शहर की अधिकांश इमारतों में फायर सेफ्टी की मूलभूत व्यवस्था भी नहीं है और उनके निर्माण में नियमों का पालन नहीं किया गया है।
30 फायर वाहन मौजूद
143 फायर मैन व अधिकारी तैनात
19 वाटर टेंडर
10 फार्म टेंडर
01 रेस्क्यु व्हीकल आबादी बहुत अधिक 28.5 लाख से अधिक है शहर की जनसंख्या
निगमायुक्त आशीष सिंह ने निगम के भवन अधिकारियों और भवन निरीक्षकों को उनके क्षेत्र की सभी 12.5 मीटर (४१ फीट) और उससे ऊंची बिल्डिंगों में अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था की जांच का आदेश दिया है। गाइड लाइन भी जारी की गई है। इनकी जांच भवन निरीक्षकों को 15 दिन में करना होगी। कमी पाए जाने पर सात दिन में सुविधा जुटाने के लिए नोटिस जारी करने और सुविधा नहीं जुटाने पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कोताही बरतने वाले अफसरों पर एकपक्षीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
-भवन के चारों ओर एमओएस खुला है या नहीं। आग लगने पर बचाव कार्य के लिए समुचित स्थान और व्यवस्था आवश्यक है।
-प्रवेश द्वार की चौड़ाई 4.50 मीटर है या नहीं। 4.50 मीटर से कम का प्रवेश द्वार होने पर अग्निशमन वाहन के परिसर में प्रवेश की व्यवस्था करवाएं।
-12.50 मीटर से अधिक ऊंचे भवनों में फायर फाइटिंग संबंधी उपकरण उपलब्ध एवं चालू हों। पानी का टैंक भरने की व्यवस्था।
-बिल्डिंग में लगा पंप चालू हो।
-लिफ्ट चालू होकर अच्छी तरह काम कर रही है या नहीं।
-आपातकालीन निर्गम सीढिय़ां की सुविधा या व्यवस्था है या नहीं।
-बिल्डिंग में बिजली की फिटिंग ठीक है, तार खुले तो नहीं हैं।
-विद्युत लाइनों की दूरी आड़े में 1.20 मीटर व खड़े में 2.50 मीटर से कम तो नहीं है।
-इमरजेंसी गेट, सीढिय़ां, हॉल के बाहर पेसेज की व्यवस्था, फायर एक्जिट व्यवस्था, वेंटिलेशन है।
-आग बुझाने के उपकरण, फोम, बालू रेत की बाल्टी, पानी की व्यवस्था है या नहीं।
-हर मंजिल पर स्प्रिंकलर, ऊपरी टंकी से डाउन कवर पाइप, ऑटोमैटिक फायर अलार्म, बाहर निकलने हेतु इमरजेंसी लाइट, इंडिकेटर संकेत है अथवा नहीं।