चार साल की बच्ची के हत्यारे की फांसी उम्रकैद में बदली
– दो साथियों के साथ सात साल पहले बालिका से किया था गैंगरेप- हत्या कर शव फेंक गए थे बदमाश
मनीष यादव@ इंदौर।
घर के बाहर से चार साल की बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म फिर हत्या करने वाले हत्यारे की फांसी की सजा अब कैद में बदल गई है। आरोपित को अब बिना किसी फायदे के 20 साल तक जेल में रहना होगा। उसके दो साथियों के बारे मेंं अभी तक फैसला आना बाकी है।
सेंट्रल जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी ने बताया कि हाल ही में एक आदेश आया है। इसके तहत सेंट्रल जेल में बंद जीतू उर्फ जितेंद्र पिता केदार निवासी नंदा नगर की फांसी की सजा को कैद में बदल दिया गया है। उसे 20 साल तक जेल में सजा काटनी होगी। इस दौरान उसे किसी भी प्रकार की माफी नहीं मिलेगी। इसके साथ ही पैरोल और दूसरे फायदे भी नहीं मिल पाएंगे। इसके केस में दो और साथी सन्नी उर्फ देवेंद्र निवासी नेहरू नगर और बाबू उर्फ केतन निवासी जगजीवन राम नगर के मामले में फैसला आना बाकी है। फैसला आने के बाद सेंट्रल जेल में 11 फांसी के कैदी बचे हैंं। इनमें एक महिला बंदी भी शामिल है।
यह है मामला
जून 2012 में जीतू ने दो साथियों के साथ मिलकर न्यू पलासिया में अपने घर के बाहर बरात देख रही बच्ची को अगवा कर लिया था। इसके बाद उसके साथ में तीनों ने उसे ऑटो में बैठाया और एक सूने स्थान पर ले जाकर दुष्कर्म किया था। इसके बाद उसकी हत्या कर शव को इलाके में फेंक दिया था। पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार किया। कोर्ट ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी। इनकी याचिका राष्ट्रपति के पास से भी खारिज हो चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इससे पहले एक याचिका लगी हुई थी। इसके चलते फांसी नहीं दी गई। जेल अफसरों ने इस मामले में विधिक राय भी मांगी थी। उनकी फांसी के बारे में कोई निर्णय तो नहीं आया, लेकिन जितेंद्र को राहत जरूर मिल गई है।
सुखलाल को भी फायदा
अग्रवाल दंपती की हत्या के मामले में जेल मेंं बंद सुखलाल की फांसी की सजा भी खत्म हो गई है। सुखलाल ने 2013 में शरद अग्रवाल और उनकी पत्नी ज्योति की मात्र 200 रुपए के विवाद में हत्या कर दी थी। इस मामले में भी कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। उसकी दया याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया है।
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