डीएसपी आनंद यादव व डीएसपी अनिरुद्ध वाधिया की टीम ने शिकायत के आधार पर जांच की। डीएसपी यादव के मुताबिक, संजय द्विवेदी ने लोगों को विश्वास में लेकर उनके साथ धोखा किया। आरोपी पहले खनन के ठेका लेता रहा है। इसी का फायदा उठाकर वह कई लोगों से मिला और देशर में खनन, सड़क व पुल निर्माण का टैंडर उसकी कंपनी के नाम से खुलने की जानकारी दी। आरोपी करीब 30 से 40 कंपनिया बना चुका है। टैंडर मिलने की जानकारी देकर वह लोगों को अपनी कंपनी में डायरेक्टर बनाने व फिर फायदा (लाभांस) देने का झांसा देता। डायरेक्टर बनाने के बाद वह कुछ राशि का लोन लेने के लिए उनकी संपत्ति, जमीन आदि का दस्तावेज हासिल कर लेता। इस संपत्ति के दस्तावेज के आधार पर बैंकों से लोन लेकर कंपनी में जमा कराता और फिर राशि अपने निजी खाते में ट्रांसफर कर उसे हजम कर जाता। आरोपी ने कई लोगों को नौकरी पर रखा और उनके नाम से भी लाखों का लोन ले लिया। प्राथमिक जांच में 100 करोड़ से ज्यादा का लोन घोटाला कर फरार होने की बात सामने आई है। आरोपी ने अन्य लोगों के नाम से आईसीआईसीआई, आरबीएल, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक आदि से यह लोन हासिल किया, वास्तविक संपत्ति मालिकों को जब नोटिस गए तो उन्हें उनके नाम से लिए करोड़ों के लोन की जानकारी मिली। टीम संजय के घर पहुंची तो वह नहीं मिला फ्लैट में ताला लगा था।
डीएसपी आरडी मिश्रा की टीम ने जगन्नाथ पुरी कॉलोनी में रहने वाले ससुर रमांकात शर्मा के घर जाकर छानबीन की। पूछताछ करने पर शर्मा ने टीम को बताया कि उनकी बेटी का करीब चार साल पहले संजय द्विवेदी सेे तलाक हो चुका है और उससे कोई लेना देना नहीं है। हालांकि अन्य तथ्यों पर भी टीम ने पूछताछ की। पीयूष की भूमिका से भी इनकार किया जा रहा है जिसके कारण किसी को टीम ने हिरासत में नहीं लिया। उनके बयान की जांच की जा रही है। हालांकि यह बात सामने आई है कि खुद को घोटाले से बचाने के लिए तलाक दस्तावेज पर लिया लेकिन साथ ही रहते थे।
गड़बड़ी व दूसरों के नाम पर लोन लेकर 100 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी करने के मामले में यह छापा मार कार्रवाई हुई है। काफी दस्तावेज जब्त हुए है। संजय द्विवेदी व उसके सहयोगियों से जुड़ी अन्य कंपनियों व साथियों की जांच की जा रही है। अगर बैंक अफसर व कर्मचारियों की लिप्तता सामने आती है तो उन पर भी कार्रवाई होगी।
सुंदरसिंह कनेश, एसपी इओडब्ल्यू।