अब डायवर्शन करवाना बहुत सरल हो गया है। खुद ही जमीन की कीमत व टैक्स का आकलन करवाकर ऑनलाइन चालान भरकर उसे एसडीओ के यहां पर पेश कर दें। 30 दिन में एसडीओ को उसका निराकरण करना है। इस प्रक्रिया से सारा झंझट खत्म हो गया और प्रणाली पारदर्शी हो गई। जैसे ही गजट नोटिफिकेशन हुआ, वैसे ही धारा-172 में लगे डायवर्शन के आवेदनों को निरस्त कर दिया गया। इसके बाद से धारा-59 में नए आवेदन लिए जा रहे हैं।
इसके बावजूद पुराने प्रकरणों में धारा-172 का जिन्न अभी जिंदा है। बड़ी संख्या में लोगों ने एसडीओ के आदेश के खिलाफ कमिश्नर व रेवेन्यू बोर्ड में अपील कर रखी थी। उन पर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, जिसे अब दूर कर दिया गया है। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने पिछले दिनों आदेश जारी कर कहा कि ऊपरी अदालत से जो आदेश दिया जाएगा, उसका पालन एसडीओ को धारा-172 में करना होगा।
गौरतलब है कि डायवर्शन की पुरानी परंपरा में बड़ी गड़बड़ थी। सारे दस्तावेज के बावजूद अपर कलेक्टर, एसडीओ, तहसीलदार, आरआई से लेकर पटवारी तक की सेवा करनी पड़ती थी। खुशामद करने के बाद भी वे काम करें या आराम से करें, कुछ तय नहीं होता था।