पहले ही मंदी से जूझ रही आईटी इंडस्ट्री पर जीएसटी के बाद 18 प्रतिशत टैक्स थोप दिया गया है। एप डेवलपमेंट, वेबसाइट डिजाइनिंग और सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग पर अब 18 प्रतिशत का टैक्स देना है जिसकी वजह से कारोबार में लगातार कमी आ रही है। इन सभी वजहों से आईटी कंपनियां बंद हो रही हैं या फिर अपना कारोबार समेटने पर मजबूर हैं।
इंदौर की बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टेक इंपल्स टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर मनीष पांचाल ने बताया कि सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री पर लग रहे टैक्स और अंतरराष्ट्रीय नीतियों में बदलाव की वजह से प्रॉफिट मार्जिन बहुत कम हो गया है। एक प्रोजेक्ट पर लाखों रुपए का टैक्स जाता है जिससे उसकी कॉस्ट भी बहुत बढ़ जाती है। इससे कर्मचारियों की सैलेरी और प्रोजेक्ट का प्रॉफिट भी प्रभावित होता है। पहले ही प्रोजेक्ट अब कम हो गए हैं और नीतियों में बदलाव के चलते इससे बिजनेस बहुत प्रभावित हो रहा है।
हाल ही में इंदौर में शुरू हुई इंफोसिस की यूनिट ने काम बंद कर दिया है और इससे हजारों लोगों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गए हैं। इंफोसिस ने यहां पर हजारों लोगों को नौकरी देने का दावा किया था और बड़े जोर शोर से इसे शुरू करने की तैयारियां चल रहीं थी। वहीं दूसरी ओर टीसीएस ने तो अब तक काम भी नहीं शुरू किया है और आंकड़ों के मुताबिक न तो कुछ निवेश किया गया है और न ही किसी को रोजगार दिया जा रहा है।
डिविजनल कमिश्नर सेज इंदौर के दफ्तर से जो आंकड़े मिले हैं, उनसे साफ है कि आईटी कंपनियां काफी पिछड़ गई हैं और नया निवेश करने से बच रही हैं। इंदौर में सुपर कॉरिडोर पर करीब 230 एकड़ जमीन लेकर बैठीं टीसीएस और इन्फोसिस ने तय समयसीमा में कैंपस डेवलपमेंट पूरा किया ना ही निर्धारित निवेश हुआ और न रोजगार दे पाईं।
इम्पेटस ने इस साल मार्च में संचालन शुरू कर दिया था। इंदौर में आईटी सेक्टर में केवल इसी कंपनी का कारोबार बढ़ रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी का एक्सपोर्ट जहां 91 लाख था, वहीं इस साल अगस्त तक 1.21 करोड़ का है। हालांकि कंपनी भी पूरी तरह से ऑपरेशनल नहीं है। फिलहाल 30 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं, जबकि कंपनी का लक्ष्य ढाई हजार लोगों को रोजगार देने का है।
दोनों कंपनियों का दावा था कि अक्टूबर, 17 तक पूरी तरह से संचालन शुरू हो जाएगा, लेकिन अमेरिका में प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप के आईटी कंपनियों को लेकर दिए गए आदेश के बाद कैंपस डेवलपमेंट से ही हाथ खींच लिया। अब वहां काम चल तो रहा है, लेकिन केवल दिखावे के लिए। जिस हिसाब से काम चल रहा है, उससे लगता नहीं कि एक साल से पहले संचालन शुरू हो पाएगा।