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इंदौर

जल्द संभल जाएं….बच्चों की स्पाइनल कार्ड के लिए खतरा बना भारी-भरकम स्कूल बैग

जल्द संभल जाएं….बच्चों की स्पाइनल कार्ड के लिए खतरा बना भारी-भरकम स्कूल बैग

इंदौरApr 15, 2019 / 01:59 pm

हुसैन अली

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जल्द संभल जाएं….बच्चों की स्पाइनल कार्ड के लिए खतरा बना भारी-भरकम स्कूल बैग

इंदौर. आज के समय में बच्चों का पढ़ाई का बोझ बढ़ता जा रहा है। ढेर सारी किताबें और कॉपियों की वजह से उनके बस्ते का बोझ सीमा से ज्यादा पहुंच जाता है और यही बस्ता ये मासूम बच्चे स्कूल तक अपने कंधों पर उठाकर ले जाते हैं। शुरुआत में उनका शरीर इसे सहन कर लेता है, लेकिन वक्त बीतने के साथ इसके दुष्परिणाम सामने आने लगते हैं। भारी-भरकम स्कूल बैग की वजह से सबसे ज्यादा उनकी स्पाइनल कार्ड खतने में आ जाती है। ऐसे में वे बचपन में ही पीठ दर्द और अन्य बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं।
8 साल की उम्र में 4 किलो से ज्यादा वजन लादना गलत

इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट (आइएपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. संजीव झा का कहना है कि बच्चों का 8 साल की उम्र में तीन से चार किलो और १२ साल की उम्र तक 6 से 7 किलो से ज्यादा वजन ढोना उनके लिए सही नहीं है। उनकी पीठ में कई तरह की तकलीफें उत्पन्न हो सकती है,जो भविष्य में परेशानी देगी। फिर भी हमारे यहां बैगलेस स्कूल का कल्चर आज भी कम ही देखने को मिलता है। विदेशों में फिजियोथैरेपी को प्रिवेंशन के तौर पर उपयोग किया जाता है। हमारे देश में इस दिशा में जागरूकता की जरूरत है। विमान में प्रति व्यक्ति २१ किलो दायरा केवल विमान की वजन उठाने की क्षमता पर तय नहीं किया गया है, बल्कि मनुष्य की क्षमता को भी ध्यान रखकर तय हुआ है।
बदली लाइफ स्टाइल से बढ़ी फिजियो की जरूरत

आइएपी के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. आनंद मिश्रा का कहना है कि आज कॉरपोरेट जगत में लोग घंटों एक ही जगह पर कम्प्यूटर के सामने बैठकर काम करते हैं। इससे गर्दन, कमर और घुटनों की समस्या सामने आती है। कमर दर्द के ९९ फीसदी मामले बिना सर्जरी के ठीक हो सकते हैं। प्लेग, कालरा, पोलियो जैसी बीमारियों का दौर चला गया, लेकिन आज लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां जैसे डायबीटिज, बीपी, हिप, स्पाइन और नेक जैसी बीमारियों से लोग ज्यादा ग्रसित हैं।
राष्ट्रीय अधिवेशन में विशेषज्ञों ने रखी अपनी राय

शहर में रविवार को हुए इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट के राष्ट्रीय अधिवेशन में फिजियोथैरेपी से संबंधित विषयों पर विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी। अधिकतर स्कूलों में बच्चों पर लादे जा रहे बैग का वजन इनकी स्पाइनल कार्ड के लिए खतरा साबित हो रहा है, यह बात भी निकलकर आई। समापन सत्र में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के रिटायर्ड डीन डॉ. डीके तनेजा, डॉ. अपूर्व पौराणिक, डॉ. वीवी नाडकर्णी, डॉ. अरुण अग्रवाल आदि अतिथि के तौर पर मौजूद थे। इस दौरान डॉ. विवेक जैन, डॉ. जितेन्द्र शर्मा, डॉ. जेबन डेनियल, डॉ. श्वेता धमानी, डॉ. रेशमा, डॉ. पिंकी व डॉ. चित्रा आदि मौजूद थे।

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