जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने दिए आदेश, उज्जैन के मंथन पारमार्थिक संस्था की ओर से लगाई गई है याचिका
इंदौर. 22 अप्रैल से 21 मई के बीच हुए देश के सबसे बड़े धार्मिक महाकुंभ सिंहस्थ को लेकर किए गए अरबों रुपए निर्माण कार्यों में अनियमितताएं, गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए लगी जनहित याचिका पर शुक्रवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस वेदप्रकाश शर्मा की युगल पीठ ने सरकार को आदेश दिए हैं कि सिंहस्थ को लेकर उज्जैन में किए गए निर्माण कार्यों से लेकर अन्य खर्चों का विस्तृत ब्यौरा पेश करें।
सुल्तान मूवी देखकर निकला, रास्ते में खाया जहर, अस्पताल में मौत कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि रिपोर्ट में यह जानकारी दी जाए कि किस मद में कितना पैसा खर्च किया है। पूर्व में सिंहस्थ को लेकर किए गए खर्च को लेकर शासन ने प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की थी, लेकिन कोर्ट उससे संतुष्ट नहीं है।
महू-इंदौर ब्रॉड गेज: रफ्तार के लिए बनाया नया ट्रैक, लग रहा पहले जितना समय चार सप्ताह के भीतर शासन को यह रिपोर्ट सौंपना है, याचिका की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी। सिंहस्थ के स्थायी और अस्थायी निर्माण में की गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए उज्जैन की मंथन पारमार्थिक ट्रस्ट की ओर से बाकिर अली रंगवाला ने यह जनहित याचिका दायर की है। 2013 में लगाई गई याचिका में निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की जांच न्यायिक आयोग से कराने की भी मांग की गई है।
IMEI नंबर बदल बेचना चाहते थे चोरी के मोबाइल, चढ़े क्राइम ब्रांच के हत्थे रंगवाला ने बताया, सिंहस्थ निर्माण में काफी गड़बडिय़ा की गई है, कई ऐसे लोगों को जिम्मेदारी सौपी गई थी जिन पर भ्रष्टाचार से जुड़े प्रकरण दर्ज हैं। उन्होंने शिप्रा नदी शुद्धिकरण और अतिक्रमण मुक्त करने के मामले में हाई कोर्ट का आदेश नहीं मानने पर अवमानना याचिका भी दायर कर रखी है।