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इंदौर

पर्यावरण संरक्षण में बड़ी बाधा सीएनजी की ऊंची कीमतें, देश में सबसे अधिक दाम मप्र में

– बड़ा सवाल: कैसे आत्मनिर्भर बनेंगे हमारे उद्योग
– गैस पर शिफ्ट होने से उत्पादन लागत में 15 से 20 फीसदी का होगा इजाफा
– अन्य प्रदेशों के उद्योग से प्रतिस्पर्धा में रहेंगे पीछे

इंदौरJan 16, 2022 / 11:54 am

विकास मिश्रा

पर्यावरण संरक्षण में बड़ी बाधा सीएनजी की ऊंची कीमतें, देश में सबसे अधिक दाम मप्र में

पर्यावरण संरक्षण में बड़ी बाधा सीएनजी की ऊंची कीमतें, देश में सबसे अधिक दाम मप्र में

विकास मिश्रा, इंदौर.

कोरोना संकट से बिगड़े आर्थिक हालात के बीच उद्योगों को रफ्तार देने के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए उद्योगों को ईंधन के पारंपरिक स्वरूप कोयले और लकड़ी के बजाए सीएनजी पर शिफ्ट होने की हिदायत मिली है। उद्योगपति भी गैस ईंधन से फैक्ट्रियां चलाने को तैयार हैं, लेकिन सीएनजी की ऊंची कीमत पर्यावरण संरक्षण के संकल्प में बाधा बन रही है। देश में सबसे महंगी सीएनजी मप्र में मिलती है। शहर में सीएनजी सप्लाय से जुड़े गोपाल शाह ने इसकी पुष्टि की है। सीएनजी की इन कीमतों से हमारे यहां के उद्योगों की उत्पादन लागत में 15 से 20 फीसदी तक का इजाफा हो जाएगा। माल महंगा होने पर विदेशों से तो दूर, देश की औद्योगिक प्रतिस्पर्धा से भी हम बाहर हो जाएंगे। पर्यावरण संरक्षण के साथ उद्योगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार को इस बारे में हल निकालना होगा।
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प्रमुख शहरों में सीएनजी के भाव

शहर भाव (रुपए प्रति किलो)

इंदौर 77

ग्वालियर 73

दिल्ली 54.04

अहमदाबाद 64.99

वडोदरा 61.45

फरीदाबाद 59.99

मुंबई 66
अमृतसर 71.28

अजमेर 67.28

लखनऊ 68.10

(ट्रांसपोर्टेशन चार्ज के चलते शहरों के रेट में भी रहता है अंतर)

वैट से हो रही परेशानी

एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र के सहसचिव तरुण व्यास ने बताया कि यदि सरकार सीएनजी को उद्योगों का वैकल्पिक ईंधन मान रही है तो उसे वैट के बजाए जीएसटी में शामिल करें। मप्र में सीएनजी पर 12 प्रतिशत वैट लगता है। जीएसटी में शामिल करने से उद्योगपति उसका रिफंड ले सकेंगे। वैट में यह व्यवस्था नहीं होने से नुकसान है। लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष शिवनारायण शर्मा का कहना है कि कोयले और लकड़ी की जगह उद्योगों को गैस से उत्पादन करने के लिए प्लांट को अपडेट करना होगा। इसमें छोटे उद्योगों को औसतन 10 से 12 लाख रुपए फिक्स चार्ज लगेगा। शहर में सीएनजी सप्लाय के लिए अवंतिका एजेंसी तय की गई है, उनकी शर्तें भी परेशान कर रही हैं।
14 का कोयला, 77 की सीएनजी

उद्योगपति अमित धाकड़ का कहना है कि मुख्य रूप से रोलिंग मिल, मेटल उद्योग, कन्फेक्शनरी, फूड प्रोसेसिंग और प्लास्टिक उद्योगों में बड़ी मात्रा में ईंधन का इस्तेमाल होता है। अभी इनमें 10 से 14 रुपए किलो तक के कोयला या 4 से 6 रुपए किलो तक की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। सीएनजी करीब 77 रुपए किलो है। इतना अंतर आने पर लागत बढ़ेगी और हम प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाएंगे।
उद्योग तैयार, सरकार दे साथ

एआइएमपी के उपाध्यक्ष योगेश मेहता का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए उद्योग जगत सीएनजी पर शिफ्ट होने के लिए तैयार है, लेकिन सरकार हमारी वास्तविक परेशानियों को समझकर मदद करे। सीएनजी के दाम कम करने के लिए उसे जीएसटी में शामिल करें, उसकी सप्लाय सुलभ हो। उद्योग तक सप्लाय में लगने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर में मदद करें।

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