वैसे तेा आमतौर पर लगभग हर त्योहार को मंदिर में जाकर मनाते हैं। पर इस त्योहार की विशेषता है कि इसे लोग मंदिरों में नहीं, बल्कि अपने घरों में पूजा करते हैं। इस त्योहार के पीछे की कहानी है कि केरल में महाबली नाम का एक असुर राजा था, जिसके सम्मान में स्वरूप लोग ओणम का पर्व मनाते हैं। ओणम त्येाहार को 10 दिन के लिए मनाया जाता है। इसमें सर्प नौका दौड़, कथकली नृत्य और गाना भी होते हैं। केरल में फसल पकने की खुशी में लोगों के मन में एक नई उमंग, नई आशा और नया विश्वास रहता है। इस खुशी में लोग श्रावण देवता और फूलों की देवी का पूजन करते हैं।
केरल में 10 दिनों के लिए घरों को फूलों से सजाया जाता है। ओणम को हर साल श्रावण माह की शुक्ल त्रयोदशी में मनाया जाता है। सभी लोग आपस में मिलकर खुशियां मनाते हैं। असल में केरल में इन दिनों चाय, अदरक, इलायची, काली मिर्च और धान की फसल तैयार हो चुकी होती है और लोग फसल की अच्छी उपज की खुशी में ये त्योहार मानकर आपस में खुशियां बांटते हैं।