सरकार के खिलाफ सडक़ पर उतरे हुकमचंद मिल मजदूर, बारिश में चलाया अभियान
प्रदेश सरकार के खिलाफ सडक़ पर उतरे हुकमचंद मिल के मजदूर, बारिश में चलाया अभियान
इंदौर. पिछले 27 साल से अपने हक के पैसों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हुकमचंद मिल के मजदूर अब प्रदेश सरकार के खिलाफ सडक़ पर उतरे। अपनी हक की लड़ाई में मजदूर आम जनता से भी समर्थन भरी बारिश में मांगा। विरोध के लिए रणनीति तैयार की गई है। पहले चरण में हस्ताक्षर अभियान चलाने का फैसला किया गया है, इसमें शहर के पांच लोगों से समर्थन के रूप में हस्ताक्षर लिए गए। इसके अलावा एक हजार पोस्टर कार्ड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लिखने की योजना बनाई गई है। सरकार के खिलाफ अभियान की शरुआत मंगलवार से हो रही है। हुकमचंद मिल मजदूर संघ के नरेंद्र श्रीवंश और हरनामसिंह धालीवाल ने बताया, मंगलवार सुबह ११ बजे गांधी प्रतिमा से हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की जा रही है।
असल में मई 2018 में मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने हुकुमचंद मिल की 42.5 एकड़ जमीन पर मप्र सरकार के दावे को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस जमीन पर नगर निगम का स्वामितव माना है। कोर्ट के आदेश के बाद अब तक नगर निगम ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है। मजदूर संगठन के पदाधिकारियों ने कई बार निगम अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा की लेकिन निगम अधिकारियों द्वारा इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
- नगर निगम व मप्र सरकार की उदासीनता से नाराज मजदूरों ने मंगलवार से हस्ताक्षर अभियान प्रारंभ किया है। इसके तहत 5 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर कराकर राज्य सरकार को ज्ञापन दिया जाएगा। वहीं 5000 पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी भेजे जाएंगे। रीगल तिराहा, मालवा मिल, परदेशीपुरा सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मजदूर सडक़ पर उतरकर हस्ताक्षर अभियान चला रहे है।
पहले दिन गांधी प्रतिमा पर आम जनता से समर्थन स्वरूप हस्ताक्षर करवाए गए, इसके बाद शहर के अलग-अलग हिस्सो में यह अभियान चलाया जाएगा। हमारा लक्ष्य है कम से कम पांच लाख लोगों के साइन कराकर इसकी प्रति मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी। अगले १५ दिनों तक लगातार यह अभियान चलाने की योजना है। मंगलवार सुबह मिल में संघ से जुड़े पदाधिकारी और मजदूर एकत्र हुए और वहां से गांधी प्रतिमा गए।
याचिका पर सुनवाई कल
मजदूरों की याचिका पर बुधवार को सुनवाई होना है। कोर्ट मिल के मालिकाना हक को लेकर नगर निगम के पक्ष में फैसला दे चुका है। अब परिसमापक को मिल की जमीन बेचने की कार्रवाई करना है और राशि से मजदूरों व अन्य पक्षकारों में वितरित करना है।
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