छह साल पहले आइडीए ने योजना-136 में प्लाट आवंटित किए थे। लंबे अंतराल के बाद आवास व व्यावसायिक प्लॉटों वाली टीपीएस योजनाओं पर सड़क व अन्य विकास कार्य शुरू किए हैं। पहले चरण में मास्टर प्लान की प्रमुख सड़कों को लिया गया। टीपीएस 1 की आधी, तीन की 40 प्रतिशत, 5 की 80 प्रतिशत व 8 की 35 प्रतिशत सड़कें बन गई हैं। मास्टर प्लान की 75, 60 और 45 मीटर चौड़ी सड़क तैयार होने के साथ योजनाओं ने आकार लेना शुरू कर दिया है। आइडीए सीईओ रामप्रसाद अहिरवार के मुताबिक, अब 30, 24, 18, 12 और 9 मीटर चौड़ी सड़कों का काम शुरू करने की तैयारी है। चुनाव के बाद ठेकेदार कंपनी काम को गति देगी। टीपीएस 9 व 10 में वर्क ऑर्डर जारी हो चुका है। जून 2026 तक सारी योजनाएं तैयार हो जाएंगी।
टीपीएस 5 व 8 के काफी हिस्से का विकास हो चुका है। यहां आइडीए 1000 प्लाट नीलाम करने की स्थिति में है। रियायती दर पर प्लॉट दिए जा सकते हैं। दोनों योजनाओं में सड़क का निर्माण व बगीचों की बाउंड्रीवाल का काम चल रहा है। 800 से 2400 वर्गफीट आकार के ह्रश्वलॉट होंगे। दोनों योजनाओं में री-प्लानिंग की गई। उन्हें जोड़कर एक चक्र बनाया और ह्रश्वलॉटों का आकार छोटा किया गया। प्लाट का आवंटन लॉटरी सिस्टम से होंगे।
इंदौर से हरदा के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग बनाया जा रहा है, जो आइडीए की टीपीएस एक और चार से गुजर रहा है। हाईवे में आने वाली खजराना व कनाडिय़ा की कुछ जमीन प्राधिकरण की योजना की है। राजमार्ग बनाने के लिए जमीन का मुआवजा एनएचएआइ ने दिया। इससे आइडीए को सड़क बनाने का खर्च बचा तो योजना की कीमत भी बढ़ गई।
किसानों की सहमति के लिए तत्कालीन आइडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने अभिनव योजना बनाई थी। हर योजना में किसान संवाद केंद्र खोला था। किसानों ने जमीन देने पर सहमति दी। प्राधिकरण किसान की जमीन लेकर विकसित करेगा और उसके बदले आधी जमीन उसे देगा। विकास में लगने वाली जमीन यानी सड़क, बगीचा, स्कूल, क्युनिटी हॉल सहित अन्य जगह आइडीए के हिस्से वाली जमीन में से जाएगी।
टीपीएस योजना 1176.158 हेक्टेयर की है। इस पर हरियाली को लेकर फोकस है। बगीचों के लिए काफी जगह छोड़ी है, जहां पेड़ लगाए जाएंगे। सड़क और फुटपाथ के आसपास में पेड़ रहेंगे।