टीएंडसीपी एक्ट के बदलाव से चाही राहत
जब अतिरिक्त महाधिवक्ता आरएस छाबड़ा ने नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में धारा-56 में किए गए बदलाव का सहारा लेते हुए दलील दी कि वर्ष 2016 में सरकार बदलाव कर चुकी है और उसके फलस्वरूप योजना का क्रियान्वयन भले ही दो साल में शुरू न हुआ हो तो भी योजना स्वत: निरस्त नहीं मानी जा सकती। इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी कर रहे अभिभाषक वीर कुमार जैन ने दलील दी कि बदलाव का फायदा इस प्रकरण में नहीं लिया जा सकता और जो बदलाव किए गए हैं, वे शासन द्वारा शक्तियों की धोखाधड़ी की श्रेणी में आते हैं।
जब अतिरिक्त महाधिवक्ता आरएस छाबड़ा ने नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में धारा-56 में किए गए बदलाव का सहारा लेते हुए दलील दी कि वर्ष 2016 में सरकार बदलाव कर चुकी है और उसके फलस्वरूप योजना का क्रियान्वयन भले ही दो साल में शुरू न हुआ हो तो भी योजना स्वत: निरस्त नहीं मानी जा सकती। इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी कर रहे अभिभाषक वीर कुमार जैन ने दलील दी कि बदलाव का फायदा इस प्रकरण में नहीं लिया जा सकता और जो बदलाव किए गए हैं, वे शासन द्वारा शक्तियों की धोखाधड़ी की श्रेणी में आते हैं।
कांग्रेस ही पलटी अपने रवैये से
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि वर्ष 2016 में जब तत्कालीन सरकार ने अधिनियम में जो बदलाव किए थे, वे भी किसान आंदोलन के प्रमुख कारणों में से एक था। किसानों ने बदलाव वापस लेने की मांग उठाई थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि किसान विरोधी बदलाव वापस लिए जाएंगे। कांग्रेस ने भी विधानसभा में बदलावों का पुरजोर विरोध किया था, लेकिन सत्ता में आते ही कांग्रेस भी अब इन्हीं बदलावों का सहारा ले रही है। युवा किसान संघ ने इन सभी बदलावों के विरुद्ध हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका लगा रखी है।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि वर्ष 2016 में जब तत्कालीन सरकार ने अधिनियम में जो बदलाव किए थे, वे भी किसान आंदोलन के प्रमुख कारणों में से एक था। किसानों ने बदलाव वापस लेने की मांग उठाई थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि किसान विरोधी बदलाव वापस लिए जाएंगे। कांग्रेस ने भी विधानसभा में बदलावों का पुरजोर विरोध किया था, लेकिन सत्ता में आते ही कांग्रेस भी अब इन्हीं बदलावों का सहारा ले रही है। युवा किसान संघ ने इन सभी बदलावों के विरुद्ध हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका लगा रखी है।
शासन नहीं ले रहा फैसला
ज्ञात रहे प्राधिकरण वर्ष 2018 में संकल्प पारित कर शासन को भेज चुका है, जिसमें प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए शासन से लगभग चार हजार करोड़ की राशि मांगी थी। इस पर शासन को फैसला लेना है कि या तो वो प्राधिकरण को राशि उपलब्ध करवाए या फिर सभी योजनाओं को निरस्त कर दे।
ज्ञात रहे प्राधिकरण वर्ष 2018 में संकल्प पारित कर शासन को भेज चुका है, जिसमें प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए शासन से लगभग चार हजार करोड़ की राशि मांगी थी। इस पर शासन को फैसला लेना है कि या तो वो प्राधिकरण को राशि उपलब्ध करवाए या फिर सभी योजनाओं को निरस्त कर दे।