इंदौर में बड़े पैमाने पर अवैध कॉलोनियां हैं, जिन्हें वैध करने के लिए एक दशक से संघर्ष चल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कई बार घोषणाएं की। यहां तक कि उन्होंने सरकारी महकमे को १५ अगस्त २०१८ की गाईड लाईन दे दी थी लेकिन तकनीकी पेंच में उलझने की वजह से कुछ नहीं हो पाया।
अब मुख्यमंत्री कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने कॉलोनियों को वैध करने का बीड़ा उठाया जिसका असर मैदान में दिखाई देने लग गया। नौ सौ से अधिक अवैध कॉलोनी में से ५९६ का चयन किया गया। उसमें से १९८ को वैध करने की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसमें उनके ले आउट प्लान भी तैयार किए गए और टीएनसीपी से मंजूरी करवाई गई।
उसमें से ६५ कॉलोनियां ऐसी हैं, जिनकी एनओसी जिला प्रशासन के नजूल व सीलिंग से नहीं आई। इसको लेकर नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने जानकारी मांग ली है, जिस पर निगम व जिला प्रशासन का अमला सक्रिय हो गया। इसको लेकर एडीएम अजय देव शर्मा ने कल शाम को शहरी तहसीलदारों की बैठक बुलाई थी।
सूची सौंपने के साथ समय सीमा में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए। तहसीलदार अपनी टीम आरआई व पटवारी के साथ अपने क्षेत्र में आने वाली अवैध कॉलोनी की मौका मुआयना करेंगे। यह जांच करेंगे कि अवैध कॉलोनी में सरकारी जमीन, नदी या नाले का हिस्सा तो नहीं है क्योंकि ऐसी स्थिति में कॉलोनी को वैध नहीं किया जा सकता है।
खसरे से होगा मिलान
गौरतलब है कि 65 कॉलोनियों की सूची तहसीलदार को सौंप दी गई। अब उनकी टीम खसरों की जानकारी निकाल रही है ताकि मौके पर जाकर उसकी स्थिति को समझा जा सके। साथ में मिसल बंदोबस्त के रिकार्ड से भी मिलान किया जा रहा है ताकि कोई गलती ना हो। आरआई व पटवारियों के साथ में नगर निगम के कर्मचारी व प्रायवेट कम्पनी की टीम भी मौजूद रहेगी, जिन्हें नियमितिकरण के काम पर लगाया गया।
गौरतलब है कि 65 कॉलोनियों की सूची तहसीलदार को सौंप दी गई। अब उनकी टीम खसरों की जानकारी निकाल रही है ताकि मौके पर जाकर उसकी स्थिति को समझा जा सके। साथ में मिसल बंदोबस्त के रिकार्ड से भी मिलान किया जा रहा है ताकि कोई गलती ना हो। आरआई व पटवारियों के साथ में नगर निगम के कर्मचारी व प्रायवेट कम्पनी की टीम भी मौजूद रहेगी, जिन्हें नियमितिकरण के काम पर लगाया गया।