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इंदौर

हड्डी की समस्या पर मरीज पहले बिस्तर पर रहता था, आज 2-3 दिन में चलने लगता है-डॉ. डीडी तन्ना

इंडोकॉन 2018: नई तकनीक पर चर्चा

इंदौरJun 17, 2018 / 12:34 pm

amit mandloi

doctor

हड्डी की समस्या पर मरीज पहले बिस्तर पर रहता था, आज 2-3 दिन में चलने लगता है

इंदौर. इंदौर ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन व ऑर्थोपेडिक सर्जन्स की दो दिवसीय वार्षिक कॉन्फ्रेंस इंडोकॉन 2018 का शुभारंभ शनिवार को होटल प्राइड में किया गया। इसमें अपने अनुभव साझा करने के लिए देशभर के 200 से अधिक जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञों के साथ ही एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के भी डॉक्टर्स ने शिरकत की। इनमें डॉक्टर्स ने देश व हॉलीवुड की कई सेलेब्रिटीज का रोग भी दूर किया है। समापन रविवार दोपहर किया जाएगा।
देश के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. डीडी तन्ना ने कहा, आज नई तकनीकों से इलाज में लगने वाले समय में काफी अंतर आया है। पहले जहां ऑपरेशन में लंबा समय लगता था, वहीं अब कुछ मिनटों में सर्जरी होने लगी है। पहले दो से तीन माह तक हड्डी की समस्या होने पर मरीज घर में बिस्तर पर रहता था, आज दो से तीन दिन में अपने पैरों पर चलने लगता है। नई तकनीक से परिणाम सार्थक आ रहे हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अनिल महाजन और सचिव डॉ. डीके शर्मा ने बताया, कॉन्फ्रेंस में देश के जाने-माने व अनुभवी डॉक्टर्स ने अन्य डॉक्टर्स को नई पद्धति की जानकारी देते हुए उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। मुंबई से डॉ. डीडी तन्ना, दिल्ली से प्रोफेसर डॉ. राजीव वैश्य, मुंबई से डॉ. एल्रिक अरूजीस, बेंगलूरु से डॉ. बीएन पार्थसारथी, नासिक से डॉ. विजय काटकर शामिल हुए।
आकस्मिक चिकित्सा पर हुई चर्चा
कॉन्फ्रेंस में सबसे पहले पीडियाट्रिक्स ऑर्थोपेडिक्स विषय पर चर्चा की गई। दूसरे सेशन में केस पर आधारित सामूहिक चर्चा की गई। तीसरे सेशन में ट्रामा यानी आकस्मिक चिकित्सा में उपचार पर अलग-अलग विषय विशेषज्ञों ने राय रखी। चौथे सेशन में ट्रामा के साथ ही ट्यूमर जैसी जटिल बीमारी पर चर्चा की गई। इनमें डॉक्टर्स ने म्यूचल एक्सचेंज ऑफ नॉलेज के लिए तकनीकों पर चर्चा की। अंतिम सेशन में जूनियर डॉक्टर्स ने कई रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।
आज इन मुद्दों पर होगी चर्चा
सचिव डॉ. शर्मा ने बताया, रविवार सुबह 9 बजे से चार सेशन भी हुए। पहले व दूसरे सेशन में टीएचआर पर चर्चा हुई । तीसरे सेशन में पेनलिस्ट डिस्कशन और अंतिम सेशन में वर्कशॉप आयोजित की गई। डॉ. राजीव हिंगोरानी ने प्रेसेंटेशन दिया।
कंधे पर स्टेथोस्कोप नहीं, हाथ में होगा अल्ट्रासाउंड मशीन का हैंडल
भविष्य में डॉक्टर के कंधे पर स्टेथोस्कोप नहीं, बल्कि में हाथ में अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी मशीन का हैंडल होगा। पोर्टेबल मशीनें आने के बाद चिकित्सा क्षेत्र के इस सबसे बेहतर आविष्कार से कम समय में अच्छा इलाज दिया जा सकता है। यह बात चोइथराम अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र के गहन चिकित्सा इकाई के डॉ. आनंद सांघी और डॉ. रतन सहजपाल ने दो दिनी कार्यशाला के पहले दिन शनिवार को कहीं। कार्यशाला में कई शहरों से गहन चिकित्सा इकाई के डॉक्टर शामिल हुए। निदेशक, चिकित्सा सेवाएं डॉ. सुनील चांदीवाल ने बताया,कार्यशाला में क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ अल्ट्रासाउंड की नवीनतम तकनीक सीखेंगे और इसका महत्व जानेंगे। मुंबई से आए डॉ. केदार तोरास्कर ने कहा, गंभीर मरीजों की देखभाल के लिए आइसीयू में अल्ट्रासाउंड का उपयोग बेहतर इलाज व अच्छे परिणाम के साथ सुरक्षा के लिए भी करना चाहिए। पुणे के डॉ. प्रदीप डिकोस्टा ने आइसीयू रोगियों के बेहतर परिणाम के लिए अल्ट्रासाउंड का प्रशिक्षण लेने की सलाह दी। डॉ. मनीष पाठक ने बताया, आइसीयू में मरीजों को सेंट्रल लाइन डालने से महत्वपूर्ण धमनियों को नुकसान पहुंचता है। चोइथराम अस्पताल के उपनिदेशक, चिकित्सा सेवाएं डॉ. अमित भट्ट ने बताया, कार्यशाला के दूसरे दिन अल्ट्रासांउड का लाइव डेमोंस्ट्रेशन दिया जाएगा।

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