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जोन अध्यक्ष का रास्ता साफ, भाजपा ने की तैयारी, जल्द होगी घोषणा

locationइंदौरPublished: Aug 31, 2018 12:00:04 pm

Submitted by:

Mohit Panchal

नगर भाजपा अध्यक्ष ने सभी विधायकों से लिए नाम, महापौर से हुआ समन्वय, संगठन ने दी स्वीकृति

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सारी बाधाएं हटीं, जोन अध्यक्ष का रास्ता साफ… जल्द घोषणा

इंदौर. महापौर मालिनी गौड़ के नेतृत्व वाली नगर निगम में पौने चार साल बाद जोन अध्यक्षों की नियुक्ति होने जा रही है। इसको लेकर भाजपा अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा ने सारी कसरत कर सूची तैयार कर ली है। गौड़ से भी समन्वय हो गया। किसी भी समय 21 जोन अध्यक्षों को लेकर चुनाव की घोषणा हो जाएगी।
महापौर गौड़ की परिषद के कार्यकाल को सिर्फ 16 माह शेष रह गए हैं। अब तक टीम ने कई कीर्तिमान रचे हैं, जिसमें स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर वन आने से लेकर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल है। इसमें एक कीर्तिमान ये भी है कि पौने चार साल होने आए, लेकिन जोन अध्यक्षों की नियुक्तियां नहीं हो सकीं। शुरुआती दौर में 19 जोन बनाए गए थे, लेकिन उस पर हाई कोर्ट में याचिका लग गई।
केस में निगम का पक्ष बड़े आराम से रखा गया जैसे उसे जोन अध्यक्ष बनाए जाने की कोई जल्दी नहीं हो। बाद में कोर्ट ने जोन बढ़ाने को लेकर निर्देश दिए। कानूनी अमली जामा पहनाकर मामले को लंबित रखा गया। इस घटनाक्रम के बाद भी काफी लंबा समय निकाल दिया गया। महापौर गौड़ और तत्कालिन नगर भाजपा अध्यक्ष कैलाश शर्मा के विवाद की वजह से नियुक्ति अटकी रह गई।
भाजपा में बदलाव के साथ ही अब जोन अध्यक्षों की नियुक्ति होने जा रही है। इसको लेकर पिछले एक सप्ताह से नगर अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा काम पर जुटे हुए थे। महापौर गौड़ सहित रमेश मेंदोला को छोड़कर सारे विधायकों से एक-एक कर चर्चा हो गई थी।
कल नेमा व मेंदोला के बीच में काफी देर तक मंथन हुआ। नामों पर सहमति बना जो अब तक सबसे ढेड़ी खीर थी। नेमा ने संगठन मंत्री जयपालसिंह चावड़ा और महापौर गौड़ से बात कर सूची सौंप दी। गौड़ अब जल्द ही २१ जोन अध्यक्षों के चुनाव की घोषणा करेगी।
पार्षद करेंगे चुनाव
कायदे से जोन अध्यक्षों का चुनाव किया जाता है। भाजपा ने २२ जोन की रचना भी उसी हिसाब से की जिसमें सभी जगह पर उनके पार्षद अध्यक्ष बन सके। बकायदा सभी जोनों पर मतदान के जरिए अध्यक्ष का चुनाव होता है। वहीं पार्टी चुनाव के ऐन वक्त पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करती है ताकि नाराज पार्षद विरोधियों से जोड़-घटाव न कर ले।
अब नहीं बची पार्षदों की रुचि
परिषद का कार्यकाल महज 16 माह का बचा हुआ है, जिसको देखते हुए पार्षदों की अब जोन अध्यक्ष बनने में रुचि नहीं रही है। इसके पीछे की कहानी ये भी है कि अक्टूबर में आचार संहिता लागू हो जाएगी। जनवरी में काम शुरू होगा और मार्च में फिर लोकसभा की आचार संहिता लग जाएगी।
बड़े चुनाव खत्म होने के बाद दो-चार माह मिलेंगे और निगम का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। अध्यक्ष का तमगा लगने से पार्टी की अपेक्षा भी बढ़ जाएगी ऐसे में मुसीबत कौन मोल ले।

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