हाल ही में जिला प्रशासन ने संकुल के रखरखाव, सफाई और पेंट्री के लिए टेंडर जारी किया है। तीन साल के लिए ठेका दिया जाएगा, जिसके लिए डेढ़ करोड़ रुपए का अनुमानित मूल्य लगाया गया है। इसमें भाग लेने वाले ठेकेदार को पांच हजार रुपए का टेंडर लेना पड़ेगा। तीन लाख रुपए की राशि भी जमा कराना होगी। टेंडर देखकर ठेकेदार कंपनियों की सांसें फुल गई हैं। सवाल ये है कि कौन सी कंपनी है, जो सारे कामों के लिए लाइसेंसधारी व पारंगत होगी। ऐसा होना संभव नहीं है, क्योंकि सभी के विभाग अलग-अलग हैं। कोई टेंडर भरता भी है तो वह गलत साबित होगा, क्योंकि प्रशासन ने अपेक्षा की है कि ये सारे लाइसेंस उसके पास होना चाहिए।
आखिरी तारीख 15 जनवरी
इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होंगे, जिसकी आखिरी तारीख १५ जनवरी है। १६ जनवरी को डीडी चेक करने के साथ आवेदन की तकनीकी तौर पर जांच की जाएगी। १७ जनवरी को देखा जाएगा कि सबसे कम कीमत में काम करने वाला ठेकेदार कौन है, जो दस्तावेजी खानापूर्ति में मजबूत है।
पांच साल पहले होलकरकालीन भवन तोडक़र प्रशासनिक संकुल का निर्माण किया गया था। भव्यता देखकर मुख्यमंत्रीशिवराजसिंह चौहान ने तारीफ कर मेंटेन रखने की बात कही थी। लोकार्पण में आए कुछ अफसरों ने इसे सफेद हाथी की संज्ञा दी थी, जो सच साबित हो रही है। भवन का रखरखाव तो ठीक,सफाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है