पांच सालों में बढ़ा लड़कियों का रुझान
डॉक्टर, इंजीनियर, वकील सहित अन्य कई क्षेत्रों में परिवार और शहर का नाम रोशन करने के साथ ही अब लड़कियों में बॉक्सिंग का क्रेज भी बढ़ा है। नेहरू स्टेडियम के बॉक्सिंग रिंग में न सिर्फ कॉलेज छात्राएं, बल्कि स्कूल की छात्राएं भी बॉक्सिंग सीख रही हैं। एक सात साल की बच्ची भी बॉक्सिंग में कॅरियर बनाना चाहती है। पिछले साल यहां की सात खिलाडिय़ों ने नेशनल चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था।
डॉक्टर, इंजीनियर, वकील सहित अन्य कई क्षेत्रों में परिवार और शहर का नाम रोशन करने के साथ ही अब लड़कियों में बॉक्सिंग का क्रेज भी बढ़ा है। नेहरू स्टेडियम के बॉक्सिंग रिंग में न सिर्फ कॉलेज छात्राएं, बल्कि स्कूल की छात्राएं भी बॉक्सिंग सीख रही हैं। एक सात साल की बच्ची भी बॉक्सिंग में कॅरियर बनाना चाहती है। पिछले साल यहां की सात खिलाडिय़ों ने नेशनल चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था।
सात साल पहले हुई शुरुआत
करीब सात साल पहले इंदौर के रेडियो कॉलोनी में रहने वाली उपासना पांडे ने नेहरू स्टेडियम में बॉक्सिंग का प्रशिक्षण लिया था और यहीं से कई मेडल जीतकर आगे बढ़ी थीं। अब वे भोपाल बॉक्सिंग एकेडमी में प्रैक्टिस कर रही हैं। उपासना को देख लड़कियों का रुझान बढ़ता गया और अब वे झिझक छोड़ इस खेल में हिस्सा ले रही हैं।
करीब सात साल पहले इंदौर के रेडियो कॉलोनी में रहने वाली उपासना पांडे ने नेहरू स्टेडियम में बॉक्सिंग का प्रशिक्षण लिया था और यहीं से कई मेडल जीतकर आगे बढ़ी थीं। अब वे भोपाल बॉक्सिंग एकेडमी में प्रैक्टिस कर रही हैं। उपासना को देख लड़कियों का रुझान बढ़ता गया और अब वे झिझक छोड़ इस खेल में हिस्सा ले रही हैं।
माता-पिता की अहम भूमिका
&नेहरू स्टेडियम में छात्राओं को बॉक्सिंग की नि:शुल्क प्रैक्टिस कराई जाती है। जितनी भी लड़कियों ने इस क्षेत्र में रुझान दिखाया है, उसमें उनके माता-पिता की अहम भूमिका है।
नर्मदा कश्यप, कोच, इंडियन बॉक्सिंग फेडरेशन
&नेहरू स्टेडियम में छात्राओं को बॉक्सिंग की नि:शुल्क प्रैक्टिस कराई जाती है। जितनी भी लड़कियों ने इस क्षेत्र में रुझान दिखाया है, उसमें उनके माता-पिता की अहम भूमिका है।
नर्मदा कश्यप, कोच, इंडियन बॉक्सिंग फेडरेशन