लंबे अरसे के बाद राजस्व विभाग में बड़ी सर्जरी की गई। बकाया संपत्तिकर और जलकर वसूली में लगातार पिछडऩे पर आयुक्त आशीष सिंह ने यह सर्जरी की। इसके चलते निगम के 19 जोन पर कई वर्षों से टिके एआरओ और बिल कलेक्टरों को इधर से उधर किया गया, ताकि बकाया टैक्स की वसूली अच्छी-खासी हो सके।
अच्छी वसूली के उ²ेश्य से राजस्व विभाग में फेरबदल हुआ, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पहले जहां निगम खजाने में रोजाना १ करोड़ रुपए से अधिक बकाया टैक्स वसूल हो रहा था, वह अब फेरबदल के बाद ६० लाख रुपए तक ही हो रहा है। इससे निगम की आर्थिक स्थिति और बिगड़ रही है। निगम गलियारों में चर्चा है कि बकाया संपत्तिकर और जलकर वसूली कम होने की वजह राजस्व विभाग के बड़े अफसरों का ध्यान नहीं देने के साथ कई जोन पर एआरओ व बिल कलेक्टरों वसूली का काम सही ढंग से नहीं करना है। कई एआरओ और बिल कलेक्टर नई जगह होने की वजह से वसूली का आंकड़ा नहीं बढ़ा पा रहे हैं। नतीजतन बकाया टैक्स वसूली प्रभावित हो रही है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है। एआरओ और बिल कलेक्टर को दिया गया वसूली का टारगेट भी पूरा नहीं हो रहा है। चर्चा यहां तक है कि कुछ एआरओ और बिल कलेक्टर अपर आयुक्त एस. कृष्ण चैतन्य के रवैये से भी नाराज हैं, क्योंकि संपत्तिकर और जलकर खातों के संशोधन की फाइलों का निपटान करने के बजाय बिना वजह क्यूरी करके अटकाई जा रही हैं।
नहीं हो रही टारगेट के हिसाब से संपत्ति सील निगम के 19 जोन पर तैनात एआरओ और बिल कलेक्टरों को रोजना बकाया टैक्स वसूली का टारगेट दिया गया है। जो लोग पैसा नहीं दे रहे, उनकी संपत्ति पर ताले लगाकर जब्ती-कुर्की करने का भी टारगेट दिया है। इसके हिसाब से रोजाना ५-५ संपत्ति जब्ती-कुर्की करना है बकाया पैसा न देने पर, लेकिन टारगेट के हिसाब से यह काम नहीं हो रहा है।