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निगम परिषद में पेश हुआ इंदौर को इंदूर करने का प्रस्ताव

इंदौर शहर का नाम इंदूर करने के लिए पत्रिका की पहल पर मंगलवार को नगर निगम परिषद ने भी मुहर लगा दी …

इंदौरNov 15, 2017 / 04:18 pm

अर्जुन रिछारिया

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इंदौर . इंदौर शहर का नाम इंदूर करने के लिए पत्रिका की पहल पर मंगलवार को नगर निगम परिषद ने भी मुहर लगा दी। नाम बदलने संबंधी प्रस्ताव एमआईसी सदस्य सुधीर देडग़े ने रखा। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के पार्षदों ने इस पर सहमति जताई।
एमआईसी सदस्य देडग़े ने कहा, भीमाबाई होलकर के शासनकाल में अंग्रेजों और होलकर रियासत में हुई संधि के बाद इंदौर में अंग्रेजों को रहने के लिए रेसीडेंसी बनाने की इजाजत दी गई थी। उस समय अंग्रेजों को इंदूर बोलने में दिक्कत होती थी, इसलिए वे इंडोर कहते थे, जो बाद में अपभ्रंश होकर इंदौर हो गया।
देडग़े ने बंबई को मुंबई, मद्रास को चैन्नई, बेंगलौर को बेंगलूरू, महू को आंबेडकर नगर करने के उदाहरण भी रखे। पार्षद दीपिका नाचन ने उनके इस प्रस्ताव का समर्थन किया। सभापति अजयसिंह नरूका ने देडग़े और पार्षद नाचन को इसके समर्थन में पुराने दस्तावेज देने के लिए कहा, जिस पर दोनों ने हामी दी।
शहरों के नाम बदलने के पीछे अधिकांश जगहों पर स्थानीय आंदोलनों का ही बड़ा हाथ रहा है। बात चाहे मुंबई की हो या फिर गुडग़ांव की। शहरों के नाम बदलने में स्थानीय आंदोलनों का बड़ा हाथ होता है।
इसके पीछे कुछ तकनीकी वजहें भी फंसती हैं जिसकी वजह से सरकार कोशिश करती है कि ऐसा न हो पर अधिकांश मामलों में सरकार को जनता की इच्छा के आगे झुकना ही पड़ता है।
इंदौर में होलकरों का शासन रहा और उनके समय इंदौर को इंदूर के नाम से जाना जाता था। होलकरों ने देश के अनेक हिस्सों में विकास के कार्य किए और वे जहां भी गए उनके शिलालेखों पर इंदौर को इंदूर के नाम से सम्मान दिया गया। होलकरों ने इंदौर में लंबे समय तक शासन किया और उन्होंने देशभर में इंदौर को पहचान दिलाई। होलकरों के शासन के समय ही अंग्रेज आ चुके थे और उन्होंने इंदूर को इंदौर कर दिया। इसके बाद से इसे इंदौर के रूप में ही जाना जाने लगा और देशभर में इसकी पहचान इंदौर के रूप में बन गई।
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