जांच समिति को कॉलेज ने एक दर्जन से ज्यादा फैकल्टी की लिस्ट सौंपी। समिति जब कॉलेज दौरे पर गई थी तब ये फैकल्टी वहां मौजूद नहीं थीं। कॉलेज को देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी से स्थायी संबद्धता मिली हुई है। इसी आधार पर यूनिवर्सिटी की नजर से भी बचता रहा। एनसीटीई भी अगले सत्र के लिए कॉलेज की मान्यता निरस्त कर चुका है। यूनिवर्सिटी अफसरों के अनुसार शासन के निर्देश पर कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
खत्म हो चुका है ऑटोनॉमस का दर्जा नैक से 2.61 सीजीपीए के साथ कॉलेज को बी ग्रेड मिली है। यूजीसी ने ऑटोनॉमस कॉलेज की सूची वेबसाइट पर अपलोड की है। इस साल की सूची में टैगोर कॉलेज का नाम नहीं है। जांच समिति को हासिल दस्तावेज के अनुसार कॉलेज की ऑटोनॉमी जुलाई में खत्म हो चुकी है। इसके बाद सभी छात्र-छात्राओं के नामांकन यूनिवर्सिटी में कराए जाना थे। नियमानुसार ऑटोनॉमस कॉलेज भी एडमिशन लेने वालों के नामांकन यूनिवर्सिटी में कराते हैं। इन कॉलेज को अपनी परीक्षा कराने और रिजल्ट जारी करने का अधिकार है लेकिन परीक्षा का रिजल्ट भी यूनिवर्सिटी मंजूर करती है। टैगोर कॉलेज ने पिछले सत्र का ही रिजल्ट मंजूर नहीं कराया है।
पढ़ाने की मांग पर कराते थे सफाई विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि जीरो अटैंडेंस के नाम पर भी प्रति छात्र 15 से 30 हजार रुपए अतिरिक्त वसूले जाते हैं। जो छात्र नियमित कॉलेज आने की बात कहते उन्हें कक्षा में कम से कम 50 फीसदी उपस्थिति होने पर ही क्लास लगने की बात की जाती। इस पर नहीं मानने पर कॉलेज की साफ-सफाई और गार्डनिंग जैसा काम करने को कहा जाता। कॉलेज में विद्यार्थियों से बदसलूकी की जाती। मोबाइल इस्तेमाल करते पाए जाने पर मोबाइल छिन लिए जाते।
रुपए और समय दोनों हुए बर्बाद कॉलेज प्रबंधन की कारगुजारी सामने आने पर एडमिशन लेने वाले छात्र ठगा महसूस कर रहे हैं। एक छात्रा ने बताया, शासन की काउंसलिंग के जरिए एडमिशन लिया। पता नहीं था यहां धोखा हो जाएगा। मेरा समय और रुपए दोनों बर्बाद हो गए। सेकंड ईयर में हमारा ट्रांसफर किसी दूसरे कॉलेज में होना चाहिए।
हम नहीं पढऩा चाहते यहां बीएड के एक छात्र का कहना है कि इतनी लापरवाही के बावजूद कॉलेज बंद नहीं होना आश्चर्य का विषय है। कॉलेज पर कार्रवाई हो या न हो लेकिन, हम यहां नहीं पढऩा चाहते। शासन से मांग करते हैं कि हमें दूसरे कॉलेज में पढऩे का मौका दें।