दरअसल राहुल गांधी के साथ बैठक के बाद से एआइएमपी के कुछ सदस्य व पदाधिकारी लगातार सोशल मीडिया पर पटवर्धन को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट कर रहे हैं। संगठन के वाट्सएप ग्रुप पर भी उन्हें कोसा जा रहा है। इस सब से व्यथित होकर गुरुवार को पटवर्धन ने अध्यक्ष आलोक दवे और सचिव योगेश मेहता को लिखित इस्तीफा सौंप दिया। मालूम हो, एआइएमपी पर गत 7 वर्ष से भाजपा से जुड़े लोगों का कब्जा है। हालांकि पटवर्धन भी लघु उद्योग भारती से जुड़े हैं, जो आरएसएस से जुड़ा संगठन है। इसके बावजूद उनकी काबिलियत को देखते हुए राहुल गांधी ने उन्हें बुलाया और करीब दो घंटे तक चर्चा की। उनके सुझावों को मानकर राज्य सरकार को निर्देशित भी किया। उन्हें मिली इस तवज्जो से नाराज कुछ लोग दो दिन से ऐसी हरकत कर रहे थे।
– राहुल गांधी से मिलने मैं किसी संगठन के प्रतिनिधि के रूप में नहीं गया था। सिर्फ उद्योगों के विकास और परेशानियों से जुड़े मुद्दे पर विचार रखे थे। एआइएमपी और लघु उद्योग भारती के कुछ सदस्यों और पदाधिकारियों ने मेरे प्रयास को नकारात्मक मान अनर्गल टिप्पणियां कीं। इससे व्यथित होकर पद से इस्तीफा दे दिया है।
संजय पटवर्धन, उद्योगपति
– एआइएमपी गैर राजनीतिक संगठन है। किसी मुद्दे पर सदस्य की नाराजगी है तो आपस में सुलझा लेते हैं। पटवर्धन के इस्तीफे पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया है।
आलोक दवे, अध्यक्ष एआइएमपी – यह हमारे लिए गौरव की बात है कि पटवर्धन से राहुल गांधी ने चर्चा की। संगठन पटवर्धन का अभिनंदन करेगा, यदि कुछ सदस्यों के विचारों से वे नाराज हैं तो आपस में बैठकर हल निकालेंगे।
योगेश मेहता, सचिव एआइएमपी