ये शिक्षक है बेटमा कन्या शाला के अनिल परमार। वो वैसे तो गणित विषय बच्चों को पढ़ाते हैं, लेकिन योग भी उनका प्रिय विषय है। वह स्कूल में प्रतिदिन बच्चों को योग-आसन की शिक्षा देते हैं। कई बच्चों को उन्होंने योग में पारंगत बना दिया है। उन्होंने प्रतियोगिता के लिए बच्चों की एक टीम भी तैयार कर ली थी, लेकिन कोरोना के चलते प्रतियोगिता निरस्त हो गई। उनकी यह योग क्लास आज भी जारी है। वे जब बच्चों के घर जाकर पढ़ाते है तो उन्हें योग करने के लिए भी बोलना नहीं भूलते। इसके साथ ही वार्षिकोत्सव में होने वाले नाच-गाने या दूसरे कार्यक्रम के साथ ही उन्होंने योग की भी प्रस्तुति की शुुरुआत की है। हर उत्सव में बच्चे योग प्रस्तुति करते हैं।
18 साल पहले हुई शुरुआत
अनिल परमार ने बताया कि 18 साल पहले विद्यालयों में योग सिखाने के लिए शिक्षकों की आवासीय टे्रनिंग हुई थी। उन्हें योग के फायदे देख मन से सीखने की ललक लगी और ट्रेनिंग लेने के लिए गए। वहां पर कुछ आसन किए तो साथियों की काफी सराहना मिली, तब ही तय कर लिया कि वे इसमें महारत हासिल करेंगे। इसके बाद वहां पर प्रशिक्षक से सीखते रहे और लगातार प्रैक्टिस कर हर योग आसन में महारत हासिल कर ली।
पहाड़ी पर योग क्लास
उन्होंने बताया कि वे पहले क्षेत्र की अमन-चमन की पहाड़ी पर योग किया करते थे। एक दोस्त के पिता को लकवा लगा तो उन्हें अपने साथ योग कराने लगे। उन्हें इससे काफी फायदा हुआ और वह वापस सामान्य काम-काज में लग गए, तब उन्हें लगा कि दूसरों को भी सिखाना चाहिए। इसी बीच दूसरे लोग भी योग का फायदा देख जुडऩे लगे। पहाड़ी पर सुबह घूमने आने वालों की वहीं पर क्लास शुरू की।
कोविड सेंटर में किया काम
परमार ने बताया कि कोरोना कफ्र्यू के चलते उनकी पहाड़ी पर लगने वाली क्लास तो बंद हो गई। इसी बीच बेटमा में कोविड सेंटर की शुरुआत हुई तो वहां पर सेवा देने के लिए लग गए। प्रतिदिन वहां जाकर भर्ती मरीजों को योग कराते थे। इसका मरीजों को फायदा हुआ। कई लोग जिन्हें अन्य दूसरी बीमारियां भी थीं, उन्हें रोज योग करने से राहत मिलने लगी। इसके साथ ही सभी से वादा भी लिया कि ठीक होकर जाने के बाद भी योग करते रहेंगे।