यंग एक्टर्स ज्यादा प्रोफशनल
करीब 10 बरस की उम्र में दूरदर्शन पर ऋषिकेश मुखर्जी के सीरियल से शुरुआत करने वाली संगीता कहती हैं कि हमारे बचपन में मासूमियत थी पर अब जो पीढ़ी आ रही है वो वक्त से पहले मैच्योर हो रही है। इसलिए जो भी युवा एक्टर आ रहे हैं वे ज्यादा इंटेलिजेंट और प्रोफेशनल हैं। उनमें पैशन और डेडिकेशन के बजाय प्रोफेशनलिज्म ज्यादा है। सोशल मीडिया के आने से यंग एक्टर्स सेल्फ मार्केटिंग में भी आगे हैं। उन्हें पता है कि स्टारडम कैसे मिल सकता है।
करीब 10 बरस की उम्र में दूरदर्शन पर ऋषिकेश मुखर्जी के सीरियल से शुरुआत करने वाली संगीता कहती हैं कि हमारे बचपन में मासूमियत थी पर अब जो पीढ़ी आ रही है वो वक्त से पहले मैच्योर हो रही है। इसलिए जो भी युवा एक्टर आ रहे हैं वे ज्यादा इंटेलिजेंट और प्रोफेशनल हैं। उनमें पैशन और डेडिकेशन के बजाय प्रोफेशनलिज्म ज्यादा है। सोशल मीडिया के आने से यंग एक्टर्स सेल्फ मार्केटिंग में भी आगे हैं। उन्हें पता है कि स्टारडम कैसे मिल सकता है।
लोगों को पसंद है चमक-दमक
संगीता मानती हैं कि टीवी पर दिखाए जा रहे अधिकांश शोज में अमीर घरानों की कहानियां होती हैं और महंगी कारें, महंगी ज्वेलरी और जरूरत से ज्यादा तडक़-भडक़ होती है। उनका कहना है कि हमारे दर्शकों को चमक-दमक पसंद है इसलिए कोई भी निर्माता इससे बाहर आना नहीं चाहता। नाग-नागिन वाले सीरियल्स पर उनका कहना है कि भारतीय दर्शक फैंटेसी को भी पसंद करते हैं। हालांकि वे मानती हैं कि टीवी पर रीयलिस्टिक सीरियल्स की जरूरत है पर फिलहाल इन्हीं को कन्विन्सिंग बनाना होगा।
संगीता मानती हैं कि टीवी पर दिखाए जा रहे अधिकांश शोज में अमीर घरानों की कहानियां होती हैं और महंगी कारें, महंगी ज्वेलरी और जरूरत से ज्यादा तडक़-भडक़ होती है। उनका कहना है कि हमारे दर्शकों को चमक-दमक पसंद है इसलिए कोई भी निर्माता इससे बाहर आना नहीं चाहता। नाग-नागिन वाले सीरियल्स पर उनका कहना है कि भारतीय दर्शक फैंटेसी को भी पसंद करते हैं। हालांकि वे मानती हैं कि टीवी पर रीयलिस्टिक सीरियल्स की जरूरत है पर फिलहाल इन्हीं को कन्विन्सिंग बनाना होगा।