रविवार को मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, स्थिति यह है कि यदि किसी भवन की दूसरी मंजिल पर इस बम को टारगेट किया गया है तो यह छत पर एक निश्चित व्यास का छेद कर दूसरी मंजिल पर ही फटेगा। आप यह तो जान सकते हैं कि वह टारगेट पर पहुंचा या नहीं, लेकिन यह पता नहीं लगा सकते कि उसने वहां क्या कमाल किया है। उससे धमाके के साथ बहुत आग निकलती है, जो आसपास का बड़ा हिस्सा भस्म कर देती है। सबूत के लिए आपको वहां चूड़ी वाला या ब्लड सेंपल कलेक्ट करने के बहाने पहुंचना होगा, जो मौजूदा परिस्थिति में संभव नहीं है। पाकिस्तान द्वारा आतंक की आड़ में किए जा रहे छदम युद्ध को लेकर उनका कहना था, इन वर्षों में सैनिकों सहित हमारे 80 हजार लोग मारे जा चुके हैं। आखिर ये कब तक चलेगा।
उस भाषा में बात करें जो पाक सेना को समझ आए मेजर बक्षी ने कहा पाक सरकार से बातचीत का मतलब नहीं है। क्योंकि आातंकवाद सेना की उपज है। इतने सालों की बातचीत में हम कुछ हासिल नहीं कर पाए। हमें पाकिस्तान से उस भाषा में बात करना होगी, जो उसकी सेना समझे
रक्षात्मक होने का कोई मतलब नहीं है युद्ध के बजाय सुरक्षा मजबूत करने के सवाल पर उनका कहना था, जब भी इस तरह की परिस्थितियां बनती है, हम यही बात करते हैं, सेना मजबूत होना चाहिए। सुरक्षा बेहतर की जाना चाहिए, लेकिन रक्षात्मक होने का कोई मतलब नहीं है।
थ्योरी ऑफ थाउजेंड अटैक मेजर बक्षी ने पाकिस्तानी हरकत को बयां करने के लिए थ्योरी ऑफ थाउजेंड अटैक समझाई। उन्होंने कहा, लोग अफ्रीका के 11 फीट ऊंचे हाथी मारने के लिए यही रणनीति अपनाते हैं। उसे भ्रमित करते हैं और उस पर लगातार वार करते हैं। जैसे ही वह मुडता है, उसे मार देते हैं।
चीन नहीं करेगा हमला पाकिस्तान से युद्ध की स्थिति में चीन द्वारा उसकी मदद किए जाने के सवाल पर उनका कहना था, चीन से खतरा है, लेकिन वह हमारे खिलाफ पाक को मिलिटरी सपोर्ट नहीं करेगा। वह खुद भी वियतनाम सहित कई मोर्चों पर घिरा हुआ है। अमरीकी दबाव अलग है।
यह भी कहा -हमारी सेना को बोफोर्स के बाद कोई गन नहीं मिली। जबकि युद्ध में मीडियम रेंज गन ही कमाल दिखाती है। हमने 10 साल इंतजार किया है, सेना को मजबूत बनाने के लिए।
-हमारी वायुसेना की ताकत कम हुई है। हमारे पास 30 स्क्वाड्रन की एयरफोर्स है, चीन के पास 42 और पाकिस्तान के पास 26 है। अगर ये साथ होते हैं तो क्या हम मुकाबला कर पाएंगे।
-चार युद्ध के बाद भी पाकिस्तान अगर बाज नहीं आया है तो हमें तय करना होगा कि उसे किस भाषा में और किस हद तक समझाएं कि वह आतंकी गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दे। ।