– मच्छीबाजार से कोई भी वाहन चालक रावजी बाजार होते हुए गाड़ी अड्डा ब्रिज का इस्तेमाल कर सकता है। इसके अलावा राजबाड़ा होते हुए भी जाया जा सकता है। वहीं नंदलालपुरा रास्ते का भी इस्तेमाल हो सकता है। कलेक्टर चौराहे की ओर से आने वाली गाडिय़ां भी इसी रास्ते का इस्तेमाल कर सकती हैं।
– राजमोहल्ला से सियागंज जाने के लिए राजबाड़ा का विकल्प है ही। इसके साथ ही चालक सुभाष मार्ग का विकल्प इस्तेमाल कर सकते है। यहां से नगर निगम चौराहे से एमजीरोड और फिर आगे सियागंज तक जाया जा सकता है। वहीं वापसी के लिए भी यही रास्ता इस्तेमाल किया जा सकेगा।
– सैफी होटल चौराहे से हाथीपाला होते हुए भी जाया जा सकता है, लेकिन यहां पर रास्ते की चौड़ाई कम होने के कारण चार पहिया वाहन इस रास्ते का इस्तेमाल करने वाले रास्ते से बचे। उनके लिए पटेल ब्रिज या फिर अग्रसेन प्रतिमा होते हुए जाने के लिए रास्ता बेहतर साबित होगा।
पुल-पुलियाओं के निर्माण के संबंध में ब्रिज सेल का गठन नगर निगम में किया गया है। इसमें रिटायर्ड इंजीनियरों को शामिल किया गया था। जवाहर मार्ग पुल का पिलर धंसने के बाद अब ब्रिज सेल के मेंबर भी जाग गए और तीन साल से बैठक न होने पर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कई सवाल उठाए हैं, जिनके कारण निगम अफसर कठघरे में खड़े हो गए।
निगम में ब्रिज सेल का गठन पूर्व महापौर मधुकर वर्मा के कार्यकाल में हुआ था। इसके साथ ही रोड डिजाइन डेवलपमेंट यानी रोड सेल का गठन भी किया था। इसमें निगम के इंजीनियर सहित पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर आरसी चुग, एससी गर्ग, निगम के रिटायर्ड सिटी इंजीनियर एसके बायस, जीएसआइटीएस की प्रोफेसर वंदना तारे और इंजीनियर अतुल सेठ सहित अन्य को रखा गया। इन सदस्यों की बिना रायशुमारी के पुल-पुलिया का टेंडर होता था न रोड निर्माण का।
निगम अफसरों का कहना है कि ब्रिज सेल की बैठक निगमायुक्त रहे मनीष सिंह के आने के बाद चार-पांच महीने तक हुई, फिर नहीं हुई। कारण स्वच्छता सर्वेक्षण और स्मार्ट सिटी के कामकाज में लगना है। जवाहर मार्ग पुल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बन रहा है, इसलिए इसका निगम की ब्रिज सेल से कोई लेना-देना नहीं है। रही बात सेल की बैठक न होने की तो इसे जल्द बुलाया जाएगा। निगम गलियारों में चर्चा है कि ब्रिज सेल की बैठक न होने का खुलासा करने वाले मेंबर्स से बात करने के लिए महापौर मालिनी गौड़ के करीबियों ने बुलाया है।