लिबोंदी तालाब भरेगा तो ही कलकल बहेगी कान्ह, जिंदा रहेगा बिलावली
इंदौर. राऊ से रालामंडल-देवगुराडि़या तक पहाडि़यों से उतरने वाले पानी को बायपास ने अवरुद्ध कर दिया है। प्राकृतिक नालों पर बनी पुलियाएं इनके अस्तित्व को बता रही है, लेकिन पहाडि़यों की ओर से आने वाला पानी तालाबों तक नहीं पहुंच रहा है। सबसे बड़ी वजह बायपास के निर्माण में ढलान का ध्यान नहीं रखा जाना है। मनमानी बसाहट ने भी तालाबों का दम घोंट दिया। इसकी वजह से बारिश के पानी की पूरी चैनल ही बर्बाद हो गई। इसी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
हालत यह है?कि शहर में बिलावली को भरने और कान्ह नदी की कल-कल को बनाए रखने वाला लिंबोदी तालाब भी इस समय अपने अंतिम पड़ाव पर है। शहर में तालाबों की चैन की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी लिंबोदी का तालाब 26 इंच बारिश के बाद भी क्षमता का 25 प्रतिशत ही भर सका हैं। किसी के पास इसका कोई?जवाब नहीं है, आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है।? हद है?कि इतनी बारिश होने के बाद भी 16 फीट पानी की क्षमता का तालाब बमुश्किल 4 फीट ही भर सका है।
पानी का पूरा खजाना इसी से जुड़ा है शहर में पानी की व्यवस्था के लिए होलकर राजाओं ने पहाडि़यों से बहने वाले पानी को एकत्र कर तालाबों की चैन बनाई थी। इसका सबसे पहला तालाब असरावद खुर्द का माना जाता हैं। दूसरा लिंबोदी का तालाब है, इसमें रालामंडल की पहाडि़यों, असरावद तालाब की चैनल और मिर्जापुर के बहाव क्षेत्र से पानी इकट्ठा होता है। सभी चैनलों को विशेषज्ञों की आधुनिक इंजीनियरिंग की संर’ाना लील गई। उन्होंने इनका ध्यान ही नहीं रखा।
कान्ह नदी की मोरी में नहाते थे सुभाष व मुकेश ने कहा, रालामंडल की तरफ की बनी इस मोरी का पानी आरटीओ के पास से पालदा होते हुए छावनी-चिडि़याघर वाली नदी में जाता है। चिडि़याघर के पास एक बांध है, जिसमें पानी रूकता था। इसकी वजह से इधर यह नदी भरी रहती थी। इसमें पीछे वाले हिस्से से भी काफी पानी आता था। अब अनेक कॉलोनियां बसने से नदी में पानी ही नहीं आ रहा है। यदि यह तालाब भर जाए तो कान्ह का डेम भी फिर से भर जाएगा। बायपास बनाने वालों ने पानी के ढलान का ध्यान नहीं रखा, इससे भरने में मुश्किल आ रही है। यदि यह तालाब नहीं भरेगा तो बिलावली अब कभी नहीं भरेगा। 7-8 साल पहले तक नदी की इस मोरी के झरने में लोग नहाते थे।
बिलावली भरने पर कान्ह में ओवर फ्लो होता है उसका पानी तालाब लिंबोदी गांव से ऊंचाई पर बना है। तालाब की खंडवा रोड वाली चैनल का उपयोग बिलावली तालाब को भरने के लिए करते हैं। इस व्यवस्था को कुछ इस तरह से बनाया गया है कि इसमें आने वाला पानी एक निश्चित स्तर तक भरने के बाद बिलावली तालाब में जाता है। बिलावली के भरने पर यह तालाब अपनी क्षमता से भरता है, साथ ही इसका ओवर फ्लो कान्ह नदी मंें जाता है, जिससे उसका प्रवाह भी बन जाता है।
गहरीकरण से तालाब की चैनल सूखी, गड्ढ़े में सिमटकर रह गया इस साल तालाब का गहरीकरण से एक ओर से काफी मिट्टी निकाली गई। पानी उस गड्ढ़े में समा गया अब ऊपर आ रहा हैं। इस कारण बिलावली जाने वाली चैनल सूखी पड़ी है। राला मंडल की ओर से आने वाले पानी की स्थिति भी खराब हैं। इस ओर से आ रही चैनल भी अतिक्रमण से भर गई हैं, जिससे पानी धीमी गति से आता हैं। बायपास के दूसरी ओर राला मंडल चैनल में आने वाला पानी भी जगह-जगह भर रहा हैं।
बायपास की ओर से बहाव कम होने से नहीं भर पा रहा तालाब 40 साल से तालाब किनारे खेती कर रहे किसान श्यामलाल का कहना है कि बायपास बनने और इसके आसपास बसाहट होने से तालाब भरना बंद हो गया। 4-5 साल पहले यहां पर पानी आया था, दोनों चैनलों को पानी मिला था। प्रशासन व निगम अफसरों ने जेसीबी के भरोसे गहरीकरण छोड़ दिया। लोगों ने उसे कुछ स्थानों पर इतना गहरा कर दिया, सारा पानी उस गड्ढ़े में समा कर धरातल में जा रहा हैं।
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