मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा घोषित वैश्विक बीमारियों में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट की जांच के उद्देश्य से एनसीडीसी, नई दिल्ली को एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने लैबोरेटरी स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा, जिसे स्वीकृति मिल चुकी है। लैब में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट में दवाओं की भूमिका जानने में मदद मिलेगी। वहीं मेडिकल कॉलेज को रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा। एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट को लेकर रणनीति बनाने में भी योगदान दे सकेंगे।
यह है एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट
बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी समय के साथ बदलते हैं। इससे दवाओं का असर कम हो जाता है और संक्रमण का इलाज मुश्किल हो जाता है। बीमारी फैलने के साथ मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। इसे ही एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंट (एएमआर) कहा जाता है।
10 बड़े वैश्विक खतरों में शामिल
एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट बड़ी चिंता का विषय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे मानवता के समक्ष शीर्ष 10 वैश्विक स्वास्थ्य खतरों में से एक घोषित किया है। केंद्र और राज्य सरकारें एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेट की जांच करने के लिए काम कर रही हैं क्योंकि प्रभावी रोगाणुरोधी के अभाव में आधुनिक चिकित्सा का विकास जोखिम में रहेगा। राष्ट्रीय कॉलेजों को तत्काल प्रभाव से रोगाणुरोधी समितियां गठित करने को कहा है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने कुछ समय पहले ही कमेटी का गठन किया है।
जल्द विकसित होगी प्रयोगशाला
कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया, यह प्रयोगशाला अनुसंधान के दृष्टिकोण को बढ़ाने और •सरकार की एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंट रणनीति को जोड़ने में मदद करेगी। एनसीडीसी के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में जल्द प्रयोगशाला विकसित की जाएगी।
डॉ. दीक्षित ने बताया, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट के साथ एसीडीसी प्रोजेक्ट में फंगल और एंटी-फंगल बीमारियों की संवेदनशीलता की पहचान कर जांच की जाएगी। मेडिकल कॉलेज में वाईटैक मशीन स्थापित की जाएगी, जिसकी लागत करीब 25 से 30 लाख रुपए है।