विशेषज्ञों का कहना है, कमिश्नर प्रणाली से पुलिस अधिकारियों के हाथ ज्यूडिश्यिल पावर भी आ जाएंगे। सनसनीखेज अपराधों के कारण चर्चा में रहने वाले इंदौर की कमान एडीजी स्तर के अधिकारी के हाथ में होगी। दो आइजी कानून व्यवस्था व जांच टीमों की कमान संभालेंगे। अपराधों की रोकथाम की संभावना बढ़ जाएगी। शहर के विकास के साथ जहां समृद्धि आती है, वहां अपराधी भी पनपते हैं। मुंबई इसका उदाहरण है। ऐसे में अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस को पूरे अधिकार देना जरूरी है।
१६१ साल पुरानी व्यवस्था बड़े शहरों की कमान कमिश्नर के हाथ अंग्रेजों ने 1860 में पुलिस एक्ट बनाया और तब से ही कमिश्नर प्रणाली लागू है। अंग्रेजों ने उस समय अधिकार अपने पास रखने के लिए तत्कालीन महानगरों कोलकाता, दिल्ली व मद्रास में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की थी। आज यह प्रणाली 27 महानगरों के साथ गुजरात-महाराष्ट्र व राजस्थान के बड़े शहरों में चल रही है। दिल्ली में कमिश्नर के हाथ में सारे काम है।
पुलिस कमिश्नर प्रणाली से ये होगा बदलाव माफिया पर कसेगी नकेल पुलिस कमिश्नर प्रणाली समय की मांग है, सरकार को जल्द लागू करना चाहिए। मुंबई जैसे महानगर की व्यवस्था कमिश्नर प्रणाली की सफलता का उदाहरण है। व्यावसायिक शहर में माफियाराज के खात्मे का काम कमिश्नर प्रणाली में मिले अधिकारों से ही पुलिस संभव कर पाई है। यहां भी माफिया पर नकेल कसने में सफलता मिलेगी। शहर की सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक है, जिसका मुख्य कारण सड़क पर अतिक्रमण, अवैध ठेले-गुमटी हैं। पुलिस के पास जब्ती के अधिकार नहीं है। कमिश्नर प्रणाली में न्याय व्यवस्था के आदेश लागू करने के साथ व्यवधानों को खत्म करने का भी अधिकार है। मुंबई में इसी अधिकार से सड़कें पुलिस ने साफ की हैं। यहां भी उम्मीद है, अवैध ठेले, गुमटी पर लगाम लगेगी, पुलिस सीधे जब्त कर लेगी तो सड़कें वाहनोंं की लिए उपलब्ध होंगी।
एसके दास, पूर्व डीजीपी मप्र। नागरिकों की मिलेगी राहत मुख्यमंत्री की पुलिस कमिश्नरी लागू करने की घोषणा के बाद कहा जा सकता है कि देर आए, दुरुस्त आए….। प्रदेश के बड़े शहरों में कमिश्नर प्रणाली को लागू होने पर नागरिकों को अपेक्षाकृत राहत मिलेगी। कानून व्यवस्था की स्थिति बने तो पुलिस मोर्चा संभालती है लेकिन अगर धारा 144 लगाना हो तो जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही संभव है। इंदौर में बड़ी समस्या जमीन की धोखाधड़ी की है। जमीन के धोखेबाजों पर नकेल कसना हो, पीडि़त को उसका आशियाना दिलाना हो तो पुलिस के हाथ बंध जाते हैं। कमिश्नर प्रणाली में पुलिस जमीन माफिया के साथ अनैतिक काम करने वालों पर शिकंजा कसेगी। जहां तक अधिकार के दुरुपयोग की बात है तो निगरानी के लिए न्याय प्रणाली है। पुलिस के ऊपर भी चुनौती रहेगी कि वे सरकार के फैसले को सही कर दिखाए इसलिए अतिरिक्त सावधानी से काम होगा।
वीके अग्निहोत्री, रिटायर्ड आइजी।
इंदौर: फैक्ट फाइल
– 4५ थाने हैं जिले में, महिला थाना, क्राइम ब्रांच, हरिजन कल्याण प्रकोष्ठ थाना अलग है। – 53 सौ पुलिस जवान व अफसर हैं शहर में। 8 से 10 हजार का बल जरूरी है।
– १००० लोगों पर है एक पुलिसकर्मी, जनसंख्या के अनुपात में
– ०१ ट्रैफिक थाना है वर्तमान में, जबकि 10 थानों की जरूरत होगी। – ५०० वाहन हैं पुलिस के अमले के पास ऐसा होगा कमिश्नर प्रणाली में पुलिस का ढांचा कमिश्नर : एडीजी रैंक
जॉइंट कमिश्नर: आइजी रैंक के दो अधिकारी
एडिशनल कमिश्नर: डीआइजी रैंक के 4 अधिकारी
डिप्टी कमिश्नर: छह भागों में बंटेगा जिला, हर भाग का प्रभारी एसपी अथवा एएसपी रैंक के अधिकारी होंगे एसिस्टेंट कमिश्नर: 8 से 10 सीएसपी रैंक के अधिकारी
बड़ा थाना: एक थाने में छह टीआइ, सीनियर इंस्पेक्टर प्रभारी, कानून व्यवस्था, इंवेस्टिगेशन जैसी विंग का काम देखेंगे। कानून व्यवस्था व इनवेस्टीगेशन की अलग अलग विंग
शहर में लूट, हत्या, अपहरण जैसे गंभीर अपराध हो रहे है लेकिन इनकी जांच के लिए कोई अलग विंग नहीं है। अगर कमिश्नर प्रणाली लागू होती है तो कानून व्यवस्था, इनवेस्टीगेेशन की अलग विंग, अलग अधिकारी होंगे। कई हत्या, लूट जैसी वारदाात होती है तो कानून व्यवस््था का अधिकारी बहाना नहीं बना सकेंगे। इनवेस्टीगेशन टीम की जिम्मेदारी होगी इन अपराधों की पतारसी की जिसका लोगोंं को फायदो भी होगा। विंग के प्रभारी आइजी स्तर के अधिकारी होंगे जिनकी निगरानी व जिम्मेदारी में काम होने से गलत होने के आरोपों से भी बचा जा सकेगा। कमिश्नर प्रणाली, पुलिस के पास होंगे सारे अधिकार, इंतजार नहीं, तुरंत कार्रवाई
– किसी सहकारी संस्था या अन्य संस्था की आड़ में जमीन के धोखेबाज ने आम लोगों को संपत्ति हडपती हो तो पुलिस केस दर्ज करने के साथ ही उसकी कब्जा हटाकर मूल पीडि़त को सौंपने का भी अधिकार हासिल करेगी।
– कहीं दो पक्ष आमने सामने हो, कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़े तो लाठी चार्ज अथवा गोली चलाने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है। मोर्चे पर तैनात टीम को जिला मजिस्ट्रेट के आदेश का इंतजार करना होता है। प्रणाली में सारे अधिकार पुलिस के पास होंगे। धारा 144 लगाने व उल्लंघन पर सीधे कार्रवाई का अधिकार भी होगा।
– कहीं स्थिति बिगडऩे पर कफ्र्यू लगाने की आवश्यकता पड़ रही है तो कलेक्टर के आदेश का इंतजार नहीं करना होगा। खुद आदेश जारी कर उसे लागू कर देंगे।
– दो पक्षों के बीच बार बार विवाद होते है तो धारा 107,116 के तहत बाउंड ओवर करने का प्रस्ताव पुलिस बनाकर एसडीएम के पास पहुंचती है। प्रणाली के तहत खुद ही आदेश जारी करेगी।
– जिलाबदर का प्रस्ताव बनाकर उसे लागू करने का अधिकार भी मिलेगा। रासुका भी इसमें शामिल होंगी।
– हथियार के लाइसेंस की पूरी प्रक्रिया पुलिस करती है, अंतिम आदेश कलेक्टर का होता था। यह अधिकार भी पुलिस को मिलेगा। धारा 151, धारा 110 में जमानत देना अथवा जेेल भेजने का अधिकार भी मिल जाएगा।
– कई बार पुलिस शहर की शांति के लिए खतरा बनाकर कार्रवाई के प्रशासन को प्रस्ताव भेजती है, सामंजस अथवा तालमेल के आभाव में कार्रवाई नहीं होती है और कई बार इसके बुरे परिणाम होते है। यह आशंका भी खत्म हो जाएगी, पुलिस सीधे कार्रवाई कर देगी।
निरकुंशता की आशंका में इन संस्थाओं की बढेगी जिम्मेदारी
कमिश्नर प्रणाली में पुलिस के निरंकुश होने की आशंका बताई जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वैसे तो पुलिस जिम्मेदारी से काम करेगी और अगर आशंका है तो कई संस्थाओं निगरानी कर सकेगी। पुलिस विभाग के आला अफसरों के साथ गृह मंत्रालय, मानवधिकार आयोग, महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, एनजीओ के साथ ही जन प्रतिनिधि व चौता स्तंभ मीडिया भी है।
पहले भी हो चुकी है कमिश्नरी पर बात
पुलिस कमिश्नरी पर 2012 में काफी बातें हुई लेकिन फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब 9 साल बाद फिर बात हो रही है। – 27 फरवरी 2012 को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने विधानसभा में भोपाल-इंदौर में जल्द कमिश्नर प्रणाली लागू करने की घोषणा की।
– 2 जुलाई 2012 को इंदौर आए तत्कालीन गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा, कमिश्नरी को लागू करने में कोई अड़चन नहीं है।
– 27 अगस्त 2012 को फिर तत्कालीन गृहमंत्री गुप्ता ने इंदौर में कहां, धीरे-धीरे लागू की जाएगी कमिश्नरी।
– 7 अक्टूबर 2012 को फिर तत्कालीन गृहमंत्री का जवाब था, हर हाल में लागू होगी कमिश्नरी।
– 21 नवंबर 2021 को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान बोले, कानून व्यवस्था की नई समस्याओं को देखते हुए प्रदेश के दो महानगर भोपाल, इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू कर रहे है। लगातार बदले रहे सिस्टम
बढ़ते अपराधों को देखते हुए भोपाल-इंदौर में लगातार पुलिस के सिस्टम बदले रहे है। पहले 25 जून 2009 को एसएसपी सिस्टम लागू किया गया। अफसर बढ़े लेकिन ज्यादा फायदा नहीं हुआ।
– मई 2013 में फिर सिस्टम बदलते हुए फिर डीआइजी सिस्टम लागू कर दिया।