मंगलवार दोपहर तेंदुए को पकडऩे का कुछ ऐसा दावा वन विभाग ने किया… सीसीएफ एचएस मोहंता ने मीडिया को बताया कि घायल तेंदुए को एक दिसंबर को नावदा रेंज से इंदौर के चिडिय़ाघर लाया गया। रात में उसे गाड़ी में ही छोड़ दिया गया। वह पिंजरे को तोड़कर भाग गया। गुरुवार सुबह सर्चिंग शुरू की। सोमवार को उसके चिडिय़ाघर के बाहर होने की खबरें मिली। वहां सर्चिंग अभियान चलाया लेकिन वह नहीं मिला। मंगलवार सुबह डीएफओ कार्यालय के पीछे तेंदुआ दिखने के बाद मजदूरों ने शोर मचाया। हमने दो कर्मचारियों को उसकी निगरानी पर लगाया। वे उसकी हर हरकत पर नजर रख रहे थे। तत्काल टीम गठित कर पीछे के परिसर में जाकर उसे पकडऩे के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। फोर्स मोटर्स परिसर में तेंदुए के आसपास जाल का घेरा बनाया गया। वन विभाग के कर्मचारियों प्रकाश बोके, शिवा पांचाल, रमेश नरवरे आदि ने उस पर जाल डाला तो वह गुर्राया, लेकिन भागने की कोशिश नहीं की। इसके बाद तीन और जाल डालकर उसे पकड़ लिया।
जब पत्रिका ने उठाए सवाल तो नाराज हो गए सीसीएफ
पत्रिका ने जब सर्चिंग ऑपरेशन को लीड कर रहे सीसीएफ एचएस मोहंता से पूछा, बुरहानपुर से मादा तेंदुआ लाई गई थी, तो इंदौर में नर कैसे पकड़ा गया। इस पर वे नाराज हो गए और कहने लगे कि हम सर्चिंग के दौरान जानवर की जांच नहीं करते हैं। पहले क्या पकड़ा गया था वह हमने नहीं देखा। यदि आपको लग रहा है कि जो पकड़ा गया है वो अलग है तो जो प्रकाशित करना है वह कर दीजिए।
पत्रिका ने जब सर्चिंग ऑपरेशन को लीड कर रहे सीसीएफ एचएस मोहंता से पूछा, बुरहानपुर से मादा तेंदुआ लाई गई थी, तो इंदौर में नर कैसे पकड़ा गया। इस पर वे नाराज हो गए और कहने लगे कि हम सर्चिंग के दौरान जानवर की जांच नहीं करते हैं। पहले क्या पकड़ा गया था वह हमने नहीं देखा। यदि आपको लग रहा है कि जो पकड़ा गया है वो अलग है तो जो प्रकाशित करना है वह कर दीजिए।
लीपापोती शुरू
मामले में सवाल उठने के बाद वनविभाग ने अब लीपापोती का प्रयास शुरू कर दिया है। बुरहानपुर के डीएफओ प्रदीप मिश्रा से जब पत्रिका ने सवाल पूछा तो पहले उन्होंने कहा कि वेटनरी डॉक्टर ने जांच की थी, हमने जांच नहीं की थी। जो डॉक्टर ने लिखा है, उसमें मादा बताया है। जो पकड़ाया है, वह नर है यह रिपोर्ट मेरे पास नहीं है। मैं इस मामले में इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। इसके बाद रात में उन्होंने पत्रिका संवाददाता को फोन कर कहा कि हर तेंदुए के चेहरे के धब्बे अलग होते हैं। ये उनका यूनिक फीचर होता है। हमने दोनों तेंदुए के धब्बे मिलाए हैं। दोनों एक ही हैं। डॉक्टर से भी बात की है। उनका कहना था कि चूंकि तेंदुआ छोटा और एग्रेसिव था, इसलिए उसे दूर से देखकर ही पहचान की गई थी। इसके बाद मादा लिखा गया था।
कुछ ऐसे चला घटनाक्रम
9.45 बजे मजदूर छोटेलाल और रामसिंह बादाम तोडऩे डीएफओ कार्यालय के पीछे पहुंचे।
10 बजे विभाग की नर्सरी में काम करने वालों ने तेंदुए को देखा।
10.02 बजे तेंदुआ बाउंड्रीवाल की ओर भागा। इमली के पेड़ पर चढऩे की कोशिश करते हुए वह पांच फीट ऊंची दीवार पर चढ़कर दूसरे परिसर में कूद गया।
10.05 बजे अधिकारियों को
खबर दी गई।
10.28 बजे चिडिय़ाघर से टीम को बुलाया।
10.47 बजे फोर्स मोटर्स में टीम पहुंची।
10.55 बजे कर्मचारियों ने जाल का घेरा बनाया।
11.36 बजे पहली बार तेंदुए पर जाल डाला गया।
11.40 बजे 2.5 एमएल दवाई का इंजेक्शन देकर बेहोश किया।
11.43 बजे जीप में रखकर तेंदुए को चिडिय़ाघर भेजा।
9.45 बजे मजदूर छोटेलाल और रामसिंह बादाम तोडऩे डीएफओ कार्यालय के पीछे पहुंचे।
10 बजे विभाग की नर्सरी में काम करने वालों ने तेंदुए को देखा।
10.02 बजे तेंदुआ बाउंड्रीवाल की ओर भागा। इमली के पेड़ पर चढऩे की कोशिश करते हुए वह पांच फीट ऊंची दीवार पर चढ़कर दूसरे परिसर में कूद गया।
10.05 बजे अधिकारियों को
खबर दी गई।
10.28 बजे चिडिय़ाघर से टीम को बुलाया।
10.47 बजे फोर्स मोटर्स में टीम पहुंची।
10.55 बजे कर्मचारियों ने जाल का घेरा बनाया।
11.36 बजे पहली बार तेंदुए पर जाल डाला गया।
11.40 बजे 2.5 एमएल दवाई का इंजेक्शन देकर बेहोश किया।
11.43 बजे जीप में रखकर तेंदुए को चिडिय़ाघर भेजा।
दोपहर से उठने लगे थे सवाल
प्र-१. रेंजर ने बताया था तेंदुए के पैर में हल्की चोट है, पर वह लकवाग्रस्त है। यह जानकारी क्यों नहीं दी गई?
प्र-२. तेंदुआ चिडिय़ाघर से डीएफओ कार्यालय तक कैसे पहुंचा?
प्र-३. घायल तेंदुआ यदि नदी किनारे से निकला तो उसने चिडिय़ाघर की 15 फीट ऊंची रिटर्निंग वाल कैसे पार की?
प्र-४. चिडिय़ाघर के बाहर कहीं पर भी उसके पगमार्क क्यों नहीं मिले?
प्र-१. रेंजर ने बताया था तेंदुए के पैर में हल्की चोट है, पर वह लकवाग्रस्त है। यह जानकारी क्यों नहीं दी गई?
प्र-२. तेंदुआ चिडिय़ाघर से डीएफओ कार्यालय तक कैसे पहुंचा?
प्र-३. घायल तेंदुआ यदि नदी किनारे से निकला तो उसने चिडिय़ाघर की 15 फीट ऊंची रिटर्निंग वाल कैसे पार की?
प्र-४. चिडिय़ाघर के बाहर कहीं पर भी उसके पगमार्क क्यों नहीं मिले?