पातालपानी से कालाकुंड के 9.5 किमी के इस सफर को हैरिटेज ट्रेन करीब चार घंटे में पूरा करेगी। कई जगहों पर स्टॉपेज होंगे। कालाकुंड में रेल म्यूजियम, रेल रेस्टोरेंट, सर्किट हाउस तैयार किया जा रहा है। पातालपानी के पास वॉच टॉवर बनेगा, जहां इंदौर पातालपानी का झरना देखा जा सकेगा। इन स्पेशल ट्रेनों को मेंटेनेंस पातालपानी यार्ड में होगा। पातालपानी स्टेशन को ट्रेडिशनल लुक दिया जा रहा है। इस ट्रेन में साथ चलने वाले रेल कैप्टन टूर गाइड का रोल अदा करेंगे। जगह-जगह सेल्फी पॉइंट बनाए जा रहे हैं। कालाकुंड रेलवे स्टेशन पर रेलवे क्वार्टर्स को हैरिटेज वेटिंग रूम में तब्दील किया जा रहा है। यहां अंग्रेजों के जमाने में तैयार हुए हैरिटेज फाउंटेन को दोबारा शुरू किया जाएगा।
टिकट भी होगा खास इस हैरिटेज लाइन पर सफर करने के लिए यात्रियों को विशेष टिकट दिया जाएगा, जिसमें पातालपानी वॉटर फॉल का फोटो होगा। विशेष कागज से टिकट तैयार किया जाएगा। 3 कैटेगिरी में होगा किराया
डीआरएम आरएन सुनकर ने बताया कि ट्रेन में सभी तरह के यात्री सफर कर सकें, इसके लिए तीन कैटेगिरी में किराया रखा जाएगा। हालांकि कितना किराया होगा, यह अभी तय नहीं है। रेलवे लाभ कमाने के उद्देश्य से हैरिटेज लाइन का काम शुरू नहीं कर रहा है। इसके अलावा एक विशेष कोच भी तैयार किया जा रहा है, जो पूरा किराए से दिया जाएगा।
इस तरह होगा सफर पातालपानी से कालाकुंड तक हर दिन हैरिटेज ट्रेन से दो फेरे लगाए जाएंगे। एक सुबह, दूसरा शाम को। 9.5 किमी के इस सफर को पूरा करने में चार घंटे का समय लगेगा। कई जगह ट्रेन रुकेगी। इसके लिए रेलवे द्वारा स्पॉट पर सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
मार्च 2019 तक आएंगे कोच 25 दिसंबर तक इस लाइन का शुभांरभ किया जाना है। इसके लिए मीटरगेज के कोच में बदलाव कर स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन तैयार की जाएगी। इसके बाद 31 मार्च 2019 तक इंटिग्रल कोच फैक्टरी द्वारा तैयार ट्रांसपरेंट ट्रेन शुरू कर दी जाएगी। डीआरएम सुनकर ने बताया कि पातालपानी और कालाकुंड के बीच दो इंजन और दो कोच का रैक रहेगा। इसमें कोच पूरी तरह से ट्रांसपरेंट रहेंगे।
यह है खास टूरिस्ट स्पॉट पातालपानी और कालाकुंड के बीच खास टूरिस्ट स्टॉप पर ट्रेन रुकेगी। इसमें पातालपानी वॉटर फॉल, टंट्या भील मंदिर, चोरल नदी का नजारा, चेक डेम, हनुमान मंदिर आदि शामिल होंगे। ट्रेन ब्रिज नंबर 647 के पास भी रुकेगी। यहां प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा, जहां चाय-कॉफी, स्नैक्स मिलेंगे। यहां 1878 में बने ब्रिज को भी दिखाया जाएगा। टनल नंबर 3 के बाद भी ट्रेन का स्टॉपेज रहेगा। कालाकुंड के पास चेक डेम और नदी के पास भी विकास किया जाएगा, ताकि यात्री यहां आकर समय गुजार सकें।