देश का पहले मल्टी प्रॉडक्ट सेज, ऑटो सेक्टर के विकास के लिए भारत का ‘डेट्राइट’ बनाने का सपना देखा गया। अब यहां तीन अलग-अलग औद्योगिक क्षेत्रों के साथ नया स्मार्ट इंडस्ट्रियल पार्क विकसित हो रहा है। इसमें उद्योगों के लिए बुनियादी और आधुनिक सुविधाएं जुटाई हैं। सामाजिक संरचना के लिए भी जमीन आरक्षित है। समीप ही जापान और एशियाई देशों के लिए आरक्षित जमीन भी डिनोटिफाई कर दी गई है। इसमें उद्योगपतियों को सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की कोशिश की गई है। प्रवेश एवं निकास पर एक्सेस कंट्रोल सिस्टम लगाया जा रहा है। यहां कार्यरत महिलाओं हेतु होस्टल का निर्माण भी शामिल है।
टीसीएस और इन्फोसिस के बाद बढ़ी डिमांड पूरी करेगा सिंहासा का आइटी पार्क सुपर कॉरिडोर पर टीसीएस और इन्फोसिस की आमद के बाद आइटी कंपनियों ने तेजी से इंदौर शहर का रुख किया। सरकार ने पहले क्रिस्टल आइटी पार्क बनाया। यहां जगह कम लगी तो इलेक्ट्रॉनिक्स पार्क के समीप आइटी कंपनियों को जगह दी। डिमांड और बढऩे लगी तो सिंहासा आइटी पार्क की रूपरेखा बनाई गई। इंदौर-अहमदाबाद रोड पर एयरपोर्ट से मात्र ५-७ किमी दूर सिंहासा ग्राम की १०७ एकड़ जमीन मप्र राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम को दी गई। यहां एक मल्टी स्टोरी आइटी पार्क बनाया गया। बची जमीन पर आइटी कंपनियों के अनुसार अधोसंरचना विकसित की गई। २०१४ में इसका निर्माण शुरू हुआ था।
पीथमपुर के उद्योगों को अब 2041 तक नहीं होगी पानी की समस्या पीथमपुर क्षेत्र में उद्योगों के बढऩे के साथ ही पानी की जरूरत भी बढ़ती जा रही है। वर्तमान में यहां संजय व कारम जलाशय से पानी सप्लाय होता है। दोनों जलाशयों से मार्च-अप्रैल तक ही पीथमपुर के उद्योगों को पानी मिलता है। केंद्र सरकार द्वारा लाई गई डीएमआइसी योजना के तहत यहां पानी की समस्या दूर करने के लिए नर्मदा से 90 एमएलडी पानी लाने की योजना तैयार की गई है। इसके लिए सिंहस्थ में तैयार किए गए नर्मदा-शिप्रा लिंक के नेटवर्क का उपयोग किया गया और सिमरोल-कंपेल के करीब से एक पाइप लाइन डालते हुए राऊ के समीप भैंसलाय तक लाई गई। यहां ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर 2041 तक की जरूरत पूरी कर लेंगे।
इंटरस्टेट चलने वाली 1400 बसों को मिलेगा ठिकाना, यात्रियों की राह होगी आसान आइडीए मास्टर प्लान में प्रस्तावित इंटरस्टेट बस टर्मिनल (आइएसबीटी) का निर्माण एमआर-10 कुमेर्डी में कर रहा है। जमीन नहीं मिलने से यह ५ साल से कागजों में ही तैयार हो रहा था। पहले लागत अधिक होने से अटका रहा। हाल में अफसरों ने इसकी कीमत कम की, तब जाकर प्रोजेक्ट धरातल पर आ सका। इसके बनने से शहर में इंटरस्टेट चलने वाली बसों की शहर में आवाजाही बंद हो जाएगी। आइएसबीटी को मेट्रो स्टेशन के साथ इंटीग्रेट किया है। यह बस स्टैंड 21 एकड़ में आकार लेगा, जिसके विकास पर करीब 60 करोड़ रुपए लागत आएगी। यह प्रोजेक्ट 21 महीने में तैयार होगा। यहां 700 दो और चार पहिया वाहन पार्किंग रहेगा।