प्रदेश में कोयले से बिजली उत्पादन में कमी के लिए जो प्रयास हो रहे हैं, उनमें आम के आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत भी चरितार्थ होती है। इन उर्जा स्रोतों से बिजली बनाकर कार्बन उत्सर्जन में भी कमी करते हैं। क्योंकि, इनसे बनने वाली बिजली की मात्रा को यदि थर्मल पॉवर प्लांट में बनाया जाता है तो कोयले की खपत अधिक होती है। इसके जलने से कार्बन की मात्रा निकली है। इनसे कार्बन उत्सर्जन में कमी लाकर कार्बन क्रेडिट का लाभ भी लिया जा सकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा विभाग प्रदेश में सोलर, विंड व अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की स्थापना कर रहा है। मालवा-निमाड़ रीजन इसके लिए अच्छी जगह है। खासकर मालवा रीजन में हवा व सूर्य के रेडिएशन ऊर्जा उत्पादन के लिए अनुकूल िस्थतियां लिए हुए हैं। वर्तमान में प्रदेश की सबसे ज्यादा विंड एनर्जी उत्पादन क्षमता मालवा में ही है। भविष्य में इन परियोजनाओं के विस्तार की संभावनाएं भी देखी जा रही हैं।
– अजय शुक्ला, कार्यपालन यंत्री, प्रभारी विंड एनर्जी, नवीकरणीय ऊर्जा विभाग
जिला पवन ऊर्जा सौर ऊर्जा
रतलाम 718, 60
देवास 505 1.25
धार 392 18
मंदसौर 386 402
शााजापुर 250 20
आगर 156 203
उज्जैन 107 132
इंदौर — 5.14 प्रदेश की कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता
पवन ऊर्जा – 2643.75 मेगावाट
सोलर पाॅवर- 2461.70 मेगावाट
लघु पनबिजली- 99.90 मेगावाट
बड़ी पनबिजली- 2235.00 मेगावाट
बायोमास एनर्जी- 119.52 मेगावाट
कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता- 5325.12 मेगावाट