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इंदौर

मालवा का जलवा, फिजा में घुली अक्षय ऊर्जा!

– सस्ती बिजली और अतिरिक्त आमदनी का जरिया – होगा दोहरा लाभ, भविष्य में मिल सकेगा कार्बन क्रेडिट

इंदौरAug 10, 2022 / 11:33 pm

गोविंदराम ठाकरे

wind power

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इंदौर। मालवा की धरा ही नहीं, उसकी फिजा भी नई संभावनाओं से भरपूर है। अंचल गैरपारंपरिक नवीकरणीय (अक्षय) ऊर्जा का अक्षय स्रोत बनता जा रहा है। क्योंकि, मालवा की हवा का ताकतवर प्रवाह विंड पाॅवर और सूरज का रेडिएशन सौर ऊर्जा के लिए ज्यादा अनुकूल माना गया है। जानकारों के अनुसार, ग्रीन एनर्जी के हब के रूप में प्रकाश फैलाने के साथ भविष्य में इस क्षेत्र के पर्यावरण के दुष्प्रभाव कम करने में बड़ी भूमिका हो सकती है, बशर्ते जिम्मेदार इस दिशा में गंभीरता से सोचें। कार्बन क्रेडिट जैसे उपायों को अपनाया जाए तो सस्ती बिजली के साथ अतिरिक्त आमदनी का जरिया भी बन सकेगा। हालांकि अफसरों ने इस पर आधारित परियोजनाओं के विस्तार का संकेत भी दिया है।
प्रदेश में पवन ऊर्जा के लगभग सभी बड़े प्रोजेक्ट मालवा में संचालित हैं, जिनकी विद्युत क्षमता 2643 मेगावाट है। अंचल का यह योगदान कुल अक्षय ऊर्जा उत्पादन का आधे से अधिक है। दूसरी ओर यह अपनी सोलर पाॅवर से प्रदेश को रोशन करने वाला अग्रणी क्षेत्र बनता जा रहा है। खंडवा, आगर, शाजापुर नीमच में 2100 मेगावाट की सौर परियोजनाओं काम शुरू हो गया है। इसी श्रृंखला में ओंकारेश्वर में सबसे बड़े तैरते छह सौ मेगावाट के सोलर प्लांट की वैश्विक उपलब्धि भी जुड़ने वाली है।
केंद्र से भी प्रोत्साहन
पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने भी प्रदेश को पिछले कुछ वर्षों में अच्छा खासा फंड जारी किया है। केंद्र ने पिछले तीन वर्षों में प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों सहित अक्षय ऊर्जा कार्यक्रमों के लिए धनराशि मुहैया कराई है। इनमें 2019, 2020 और 2021 में क्रमश: 95 करोड़, 50 करोड़ और 76 करोड़ रुपए जारी किए हैं। हालांकि बीते तीन वर्षों में लघु पन बिजली परियोजना को छोड़कर इनमें कोई वृद्धि या विस्तार नहीं किया गया है।
ग्रीन एनर्जी से अतिरिक्त कमाई भी
प्रदेश में कोयले से बिजली उत्पादन में कमी के लिए जो प्रयास हो रहे हैं, उनमें आम के आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत भी चरितार्थ होती है। इन उर्जा स्रोतों से बिजली बनाकर कार्बन उत्सर्जन में भी कमी करते हैं। क्योंकि, इनसे बनने वाली बिजली की मात्रा को यदि थर्मल पॉवर प्लांट में बनाया जाता है तो कोयले की खपत अधिक होती है। इसके जलने से कार्बन की मात्रा निकली है। इनसे कार्बन उत्सर्जन में कमी लाकर कार्बन क्रेडिट का लाभ भी लिया जा सकता है।
वर्जन
नवीकरणीय ऊर्जा विभाग प्रदेश में सोलर, विंड व अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की स्थापना कर रहा है। मालवा-निमाड़ रीजन इसके लिए अच्छी जगह है। खासकर मालवा रीजन में हवा व सूर्य के रेडिएशन ऊर्जा उत्पादन के लिए अनुकूल िस्थतियां लिए हुए हैं। वर्तमान में प्रदेश की सबसे ज्यादा विंड एनर्जी उत्पादन क्षमता मालवा में ही है। भविष्य में इन परियोजनाओं के विस्तार की संभावनाएं भी देखी जा रही हैं।
– अजय शुक्ला, कार्यपालन यंत्री, प्रभारी विंड एनर्जी, नवीकरणीय ऊर्जा विभाग
अंचल में ग्रीन एनर्जी की उत्पादन क्षमता

जिला पवन ऊर्जा सौर ऊर्जा
रतलाम 718, 60
देवास 505 1.25
धार 392 18
मंदसौर 386 402
शााजापुर 250 20
आगर 156 203
उज्जैन 107 132
इंदौर — 5.14

प्रदेश की कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता
पवन ऊर्जा – 2643.75 मेगावाट
सोलर पाॅवर- 2461.70 मेगावाट
लघु पनबिजली- 99.90 मेगावाट
बड़ी पनबिजली- 2235.00 मेगावाट
बायोमास एनर्जी- 119.52 मेगावाट
कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता- 5325.12 मेगावाट

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