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इंदौर

शिवाजी की तरह हो प्रजेंस ऑफ माइंड और लॉन्ग टर्म विजन

आइएमए में लर्निंग फॉर्म लीजेंड छत्रपति महाराज सब्जेक्ट पर आयोजित सेमिनार में सीखे सक्सेस के गुर

इंदौरMay 04, 2018 / 12:32 pm

अर्जुन रिछारिया

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इंदौर. मराठा साम्राय के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से मैनेजमेंट के कई गुर सीखे जा सकते हैं। उनके पास इनोवेशन, प्रजेंस ऑफ माइंड, गोल ओरिएंटेशन, एडमिनिस्ट्रेशन कंट्रोल पावर जैसे कई गुण थे। गोरिल्ला वॉर प्रजेंस ऑफ माइंड का यूज कर नए इनोवेशन करने का गुर सिखाती है। इसमें कम रिसोर्स में बेहतर काम करने का तरीका सीख सकते हैं। प्रॉब्लम सॉल्विंग के इनोवेटिव मैथड भी शिवाजी से सीखे जा सक ते हैं। यह बात सैपकॉन इंस्ट्रूमेंट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर ऑफ बिजनेस डवलपमेंट अश्विन पलशीकर ने शुक्रवार को जॉल सभागृह में इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन के कार्यक्रम लर्निंग फ्रॉम लीजेंड छत्रपति महाराज सब्जेक्ट पर आयोजित सेमिनार में कही। उन्होंने बताया कि किस तरह शिवाजी के जीवन से सीख लेकर अच्छा मैनेजमेंट प्रोफेशनल बना जा सकता है।
शिवाजी के जीवन से मैनेजमेंट स्टूडेंटस सीख सकते है ये १० बातें
1. वे बताते हैं कि शिवाजी की माता जीजाबाई ने बचपन से ही स्वराज स्थापना की बात पर बल दिया। इसी का परिणाम है कि १५ साल की उम्र में शिवाजी को स्वराज स्थापना में सफलता मिलना शुरू हो गई। पैरेंट्स को चाहिए कि बचपन से ही बच्चों के लिए गोल सेट करें ताकि उन्हें अपने लक्ष्य को समझने में समय न लगे।
2. शिवाजी के अंदर एक अच्छे लीडर के सभी गुण थे। वह पिछड़े हुए लोगों को आत्मविश्वास के साथ आगे बढऩा सिखाते थे। साथ ही अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की बात भी उन्होंने कही है।
3. शिवाजी एक सेक्यूलर लीडर थे। जाति और धर्म के आधार पर बिना किसी भेदभाव के सबको साथ लेकर चलने का गुण एक अच्छे लीडर में होना जरूरी है।
4. शिवाजी एक अच्छे प्लानर थे। इसका सबसे बेहतर उदाहरण है कि उन्होंने किस तरह अफजल खान की शक्तिशाली सेना को मैनेज किया था। इसके अलावा आगरा से बच कर निकालना भी अच्छे प्लानर की निशानी है।
5. पुरंदर की संधि में शिवाजी ने 27 किले खो दिए थे, लेकिन उन्होंने कभी खुद को निराश नहीं होने दिया। यह नेवर गिवअप की बात सिखाता है। उस समय शिवाजी ने संपूर्ण साम्राज्य खो दिया था, लेकिन अपनी मृत्यु के समय वे ३०० से ज्यादा किलों के मालिक थे।
6. आगरा से बचकर भागते समय उन्होंने अपने ८ साल के पुत्र संभाजी को आगरा में ही छोड़ा और खुद महाराष्ट्र के लिए आगे बढ़ गए। इस बीच उनके बेटे की मृत्यु की अफवाह भी फैलाई गई, लेकिन वे आगे बढ़े। उनका ये निर्णय उनके इमोशनली स्ट्रॉंन्ग होने के गुण को दिखाता है।
7. शिवाजी के पत्रों में एडमिनिस्ट्रेशन स्किल्स देखने को मिलती है। इससे पता चलता है कि किस तरह उनके साम्रराज्य में कानूनों का पालन किया जाना जरूरी था।
8. उनके मन में महिलाओं के प्रति सम्मान था, इसका सबसे बेहतर उदाहरण कल्याण के जमींदार हिरकनी का किस्सा है।
9. सेल्फ रेस्पेक्ट का सबसे बेहतरण उदाहरण है जब औरंगजेब ने उनका दरबार में अपमान तो शिवाजी ने दृढ़ आवाज में इसका जवाब दिया।
10. शिवाजी दूरदर्शी सोच रखते थे। वे ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने समुद्र से होने वाले खतरों को समझा और नैवी का निर्माण किया। शिवाजी नैवी के जनक भी कहे जाते है।

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