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पार्षद अंसाफ अंसारी सहित 10 को हाई कोर्ट से मिली जमानत, ये मिली थी सजा कैबिनेट के इस फैसले को लेकर इंदौर महापौर मालिनी गौड़ ने भी अपनी राय व्यक्त की है। उनका कहना है कि कमलनाथ कैबिनेट के इस फैसले से आने वाले वक्त में नगर निगम में बंदरबांट बढऩे का खतरा मंडरा रहा है। महापौर के सीधे चुनाव के चलते महापौर सीधे जनता के लिए जवाबदार रहता था, लेकिन अब इस नई प्रणाली के बाद पार्षदों का दबाव महापौर पर रहेगा, जिससे नगर निगमों में भ्रष्टाचार बढ़ेगा। उन्होंने कमलनाथ सरकार के इस फैसले को सिरे से खारिज किया।
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कारखाने पर छापा, बुरी हालत में बन रही थी हल्दी और मसाले, देखें VIDEO एक्ट में बदलाव के फैसले का विरोध पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस को हार का डर सता रहा है। इसलिए उन्होंने महापौर के सीधे चुनाव को खत्म कर दिया है। कांग्रेस इसके जरिए जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त की राजनीति को बढ़ावा दे रही है।
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ओवरटेक के चक्कर में ट्रक से भिड़ी चार्टर्ड बस, मची चीख पुकार, तीन यात्री गंभीर दो महीने पहले पूरा होगा परिसीमन कैबिनेट के फैसले के बाद इस फैसले के बाद अप्रत्यक्ष तरीके से महापौर और नगर निगम के सभापति का चुनाव होगा। वहीं परिसीमन का काम भी चुनाव से दो महीने पहले पूरा हो जाएगा। इसके अलावा अगर कोई शख्स पार्षद का चुनाव लड़ रहा है तो अब उसे राज्य निर्वाचन आयोग से जानकारी छुपानी महंगा पड़ेगी। इसके तहत 6 महीने की सजा और 25 हजार का जुर्माना भी भरना पड़ेगा।