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इंदौर

संजीवनी क्लिनिक के लिए ढूंढ रहे 25 हजार की सैलरी वाले एमबीबीएस डॉक्टर

पहले ही है डॉक्टरों की कमी, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की तरह हो जाएगा ढर्रा

इंदौरDec 10, 2019 / 10:49 am

रीना शर्मा

संजीवनी क्लिनिक के लिए ढूंढ रहे 25 हजार की सैलरी वाले एमबीबीएस डॉक्टर

संजीवनी क्लिनिक के लिए ढूंढ रहे 25 हजार की सैलरी वाले एमबीबीएस डॉक्टर

इंदौर. शहर में खुलने वाले 28 संजीवनी क्लिनिकों के लिए स्वास्थ्य विभाग को 25 हजार रुपए प्रतिमाह में एमबीबीएस डॉक्टर चाहिए। सरकार ने इसके लिए आदेश भी निकाल दिया है। जिसमें अगर एक दिन में क्लिनिक पर 25 मरीज आते हैं तो डॉक्टर को सिर्फ एक महीने में 8 घंटे की ड्यूटी करने के बाद 25 हजार रुपए महीना वेतन दिया जाएगा। ऐसे में स्थानीय अधिकारियों के लिए इतने कम वेतन में एमबीबीएस डॉक्टर ढूंढऩा परेशानी बन गया है, क्योंकि निजी अस्पतालों से तुलना करें तो एमबीबीएस डॉक्टरों को डेढ़ से दो लाख रुपए महीने तक वेतन मिल रहा है। ऐसे में वे 25 हजार में काम क्यों करेंगे?
संजीवनी क्लिनिक के लिए ढूंढ रहे 25 हजार की सैलरी वाले एमबीबीएस डॉक्टर
गौरतलब है कि दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक की तर्ज पर शहर में अब संजीवनी क्लिनिक होंगे। इसकी शुरुआत दो दिन पहले निपानिया से मुख्यमंत्री कमल नाथ, स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट, नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने की। शहर में पहले चरण में 28 संजीवनी क्लिनिक खोले जाना हैं। स्वास्थ्य विभाग यहां काम करने वाले डॉक्टरों को 25 हजार रुपए प्रतिमाह फिक्स वेतन देगा। ये केंद्र सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुले रहेंगे। प्रतिमाह 25 हजार रुपए वेतन मिलने में 25 मरीज तक डॉक्टर देंखेंगे। इसके बाद प्रति मरीज बढऩे पर 40 रुपए के हिसाब से भुगतान किया जाएगा, लेकिन इसमें भी एक माह में अधिकतम 75 हजार रुपए ही दिए जाएंगे। वहीं स्टाफ नर्स, लेब टेक्नीशियन की नियुक्ति अभी जिला अस्पताल से की जाना है। जल्द ही इंटरव्यू के माध्यम से स्टाफ नर्स को 20 हजार रुपए प्रतिमाह और लैब टेक्नीशियन को 15 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। फार्मासिस्ट को 15 हजार रुपए प्रतिमाह और मल्टी टास्क वर्कर को 10 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे।
संजीवनी क्लिनिक को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभाग के सामने डॉक्टरों को दिया जाने वाला कम वेतन चुनौती के रूप में रहेगा। हाल ही में कुछ डॉक्टरों ने विभाग को यहां काम करने के लिए रुचि दिखाइ्र्र, लेकिन जब वेतन का स्लैब देखा तो मना कर गए। कारण था कि निजी अस्पतालों में एमबीबीएस डॉक्टरों को डेढ़ लाख से दो लाख रुपए प्रतिमाह तक मिलता है। पूर्व में शहर में संचालित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी पिछले दो साल में सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पाए, जिसके पीछे बड़ा कारण है की डॉक्टरों को वेतन उचित नहीं लगा।
पुरुषों को भर्ती करने की व्यवस्था ही नहीं

उधर, विभाग के सामने एक और परेशानी है कि इंदौर में अब तक स्वास्थ्य विभाग के किसी भी अस्पताल में पुरुषों को भर्ती करने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अधिकारियों को यह नजर रखना होगी की संजीवनी क्लिनिकों पर पदस्थ डॉक्टर यहां आने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती न कराएं, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों पर हमेशा आरोप लगता है कि वे सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजते हैं और निजी लैबों से इनकी जांच करवाते हैं। जब निजी डॉक्टर ही सरकारी संजीवनी क्लिनिक कम वेतन पर संभालेंगे तो यह परेशानी और बढ़ जाएगी, क्योंकि एमवाय में पहले ही लोड रहता है। ये डॉक्टर मरीजों को एमवाय में जाकर नहीं देख पाएंगे, ऐसे में ये संजीवनी में ओपीडी देखकर मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती करवा देंगे। पूर्व में भी ऐसे कई मामले हो चुके हैं। इस पर अंकुश लगाना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लिए भी आसान नहीं होगा।
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