ऐसे में अब जरूरत नहीं होने पर भी मरीज एंटी फ्लू ले रहे हैं, जिसके घातक परिणाम सामने आ सकते हैं। दरअसल टेमीफ्लू में ओसेल्टा मिविर फॉस्फेट पाया जाता है और एंटीफ्लू में भी यही कंटेंट हैं यानि दोनों दवाओं का एक ही काम है, लेकिन टेमीफ्लू पर तो सरकार की बंदिश है लेकिन एंटीफ्लू पर नहीं है। आसानी से दवा बाजार की दुकानों से यह दवा
बिक रही है।
स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी के साथ कुछ निजी अस्पतालों को भी चिन्हित किया है। इसी तरह टेमीफ्लू की बिक्री के लिए तीन स्थान तय हुए हैं, जिनमें लसूडिय़ा का सिपला कम्पाउंड, सीएचएल हॉस्पिटल और दवा बाजार का सुपर ड्रग हाउस है। यहां मरीजों को डॉक्टर की पर्ची देखकर उसकी फोटो कॉपी तथा दवाई खरीदने वाले की आईडी की फोटो कॉपी लेकर ही यह दवाई दी जाती है जबकि एन्टीफ्लू आसानी से मिल रही है।
आएंगे घातक परिणाम
डॉक्टरों की मानें तो हर साल वायरस अपना स्वरूप बदल लेते हैं। ऐसे में स्वाइन फ्लू नहीं होने पर भी अगर उसकी दवाई का सेवन किया गया तो ऐसे लोगों को स्वाइन फ्लू होने का खतरा बढ़ जाता है। कारण है कि वायरस दवा के प्रति अपनी क्षमता बढ़ा लेता है, जिसके बाद फिर दवा लेने पर भी इसका कोई असर नहीं होता है। डॉक्टरों का कहना है कि बहुत ज्यादा स्वाइन फ्लू के लक्षण होने पर ही विशेषज्ञ डॉक्टर के कहने पर टेमीफ्लू का सेवन करना चाहिए।
लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या
गौरतलब है कि इन दिनों स्वाइन फ्लू सहित अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक एच१एन१ वायरस के 119 पॉजिटिव मरीज सामने आ चुके हैं, जबकि 453 संदिग्ध मरीजों के सेंपल भेजे गए थे। इनमें से 36 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। इसके साथ ही डेंगू के 39 और चिकनगुनिया के 10 मरीज सामने आ चुके हैं।
नियमों का करना होगा पालन
हमें जानकारी मिली है कि टेमीफ्लू की सब्स्टिट्यूट दवा एन्टीफ्लू बाजार में दी जा रही है। हम जांच करवा रहे हैं। इसे बेचने के लिए भी टेमीफ्लू वाले नियमों का पालन करना होगा।
डॉ एचएन नायक, सीएमएचओ