फरारी के दौरान वह साथियों से इंटरनेट व वाट्सऐप कॉलिंग के जरिए संपर्क में था। एएसआइ राजेश रघुवंशी के मुताबिक, पूछताछ में आरोपी बरगलाने व रोब झाड़ने की कोशिश करता है। वह खुद को हिंदी, इंग्लिश के साथ कनन्नड़, बिहारी, मराठी, तेलगू भाषा का जानकार बताता है।
उसने देश में विभिन्न प्रकार के 24 अवार्ड से सम्मानित होने का दावा किया है और उनकी लिस्ट भी पुलिस को दी है। यूट्यूब पर भी उसके वीडियो हैं, जिसमें वह खुद को इंटरप्रेन्योर बताता है। इसी की आड़ में वह लोगों को ठगता था। एसआइ संजय विशनोई के मुताबिक, भगवान बसंत ने 207 में यहां किराए की फैक्टरी लेकर व सिक्योर नाम से कंपनी बनाकर काम शुरू किया था। वह सेनेटरी पैड, जीपीएस सिस्टम बनाता था।
लोगों को झांसादेता था कि अगर कंपनी में निवेश करेंगे तो कम कीमत में बिक्री के लिए सामान देगा। इससे मुनाफा होगा और छह महीने में राशि दोगुना हो जाएगी। इसके लिए उसने एजेंट भी नियुक्त किए थे, जो कमीशन के आधार पर लोगों को लाते थे। कोरोनाकाल में उसने मास्क, पीपीइ किट, सैनेटाइजर बनाना शुरू किया था। करीब 40 लोगों से 10 करोड़ रुपए जमा किए। मामले में उस पर दो केस दर्ज हो चुके हैं। ग्वालियर में भी एक केस दर्ज होने की बात सामने आई है।
नीदरलेंड में होने की देता था झूठी जानकारी
फरार होने पर लोगों ने उससे अपनी जमा राशि मांगी तो उसने किसी को नीदरलैंड्स तो किसी को दुबई में होने की झूठी जानकारी दी। एसआइ विश्नोई के मुताबिक, सूचना पर टीम पुणे गई। 2-3 दिन की तलाश के बाद उसे किराए के फ्लैट से पकड़ लिया। फरार होने से पहले उसने फैक्टरी की मशीनें बेच दी थीं।
स्वयं-पत्नी के नाम पर हैं 24 खाते
एसआइ विश्नोई ने बताया कि भगवान व उसकी पत्नी के अलग-अलग बैंकों में 24 खाते है। कई जगह संपत्ति खरीदने की बात भी पता चली है, जिसकी जांच की जा रही है। पुलिस इसमें निष्पेक्षों का संरक्षण अधिनियम की धारा बढ़ा रही है ताकि संपत्ति बेचकर लोगों को राहत दिलाई जा सके।